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________________ ४८४ ] सिरिचंदविरइयां [ ४८. ३. १ पाराहियजिणपयपंकयासु महएवि इला ललियंगि तासु । धाई वि विणयमइ वियडदंत वेयालि व सा वियरालगत्त । फग्गुणअट्टाहियदियहो तेण जिणपूज होम लाविय जणेण । जंतेण भणिय एत्थेव मात्र अच्छसु जिणिंदमहिमाणुराए । तुह रू० जणही जत्तागयासु लज्जणिउ अमंगलु जणइ तासु। ५ ।। निसुणेवि एउ जायउ अणि? हा मइँ जिणमहिमुच्छउ न दिठ्ठ। इय निदेप्पिणु अप्पउँ वियड्ढ थिय अट्ठोवासु लएवि वुड्ड । एत्तहे अट्ठमदियहम्मि राउ। जिणजत्त करेप्पिणु घरहो पाउ । पुच्छिय निरु दुब्बल काइँ जाय । सा कहइ नरिंदो महुरवाय । एत्थेव पुत्त अट्ठोववासु किउ मइँ जिणिंदपुज्जापवासु। १० जायउ तेणंगहो दुब्बलत्तु ता तूसे प्पिणु पहुणा पउत्त। घत्ता--मग्गि माइ जिणसमयरुइ जं किंचि वि पडिहास इ चित्तहो । भणिउ ताण अवर? दिण किज्जउ परम पुज्ज अरहंतहो ॥३॥ । ता राएँ ताहे निमित्तु तेण जिणमहिमाढत्त महुच्छवेण। . दलसु वि दिसासु उच्छलिय वत्त आयउ जणु पुणु हुय गहिर जत्त । जायरणु ण्हवणु अणवरउ पुज्ज पेक्खणउ पहावण किय मणोज्ज । महु तणिय जिणेसर जुत्त एह किह भुंजमि जइ वि असक्कदेह । अवराइँ वि अट्ठ दिणाइँ ताण केम वि न वि जिमिउ दिढव्वयाए। ५ तं ताहे तणउ पावियसमाणु नाणेण वियाणेवि तवविहाणु। .. हिमवंतपोमदहवासिणी . ..... सिरियादेवी सुहासिणीए। ... पारणयदिवह तत्थाविऊण सुविहूइ सा सइँ ण्हाणिऊण । पुज्जेवि पसंसिय जणियचोज्ज... पुणु पयडिय पट्टण पंच चोज्ज। विभिउ जणु सयलु वि तं निएवि गय तक्खणे निययनिवासु देवि । १० चुय पल्लाउक्खy मुक्कपाण संजाय धाइ तहिँ कयनियाण । घत्ता--सा परियाणेवि पुव्वभउ सिविणइ एइ निच्च पुरलोयो । अप्पाणउ पायडइ हउँ सिरियादेवि पुज्ज तइलोयहाँ ॥४॥ प्रागय उज्जाणे मणोहरम्मि जइ अहनिसु निच्चलु मणु धरेवि : ए त्थच्छमि तुम्हहँ पुरवरम्मि । महु तणिय पडिम पुज्जह करेवि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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