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४५६ ] सिरिचंदविरइयउ
[ ४५. १५. ११घत्ता-पुत्ति महारी नायसिरि पहु पालिय विसिट हयवंचय । .. परितायहि ताएहि लहु लेप्पिणु जावच्चंति न वंचय ॥१५॥
ता राएँ समेउ सयलु वि जणु
गउ जत्थच्छइ मुणि विभियमणु । पुच्छिय पत्थिवेण तिहुयणथुय
किं अप्पणिय भणिय दियवरसुय । मुणिणा भणिउ एह सुहयारी
निच्छउ पत्थिव पुत्ति महारी । जेण पयत्तपरेण पढाविय
वेयचउक्कु संगु जाणाविय ।। ता सा निववयणेण सुहाविय
सुंदरि चारिवि वेय भणाविय । ५ संगोवंगइँ सव्वइँ सत्थइँ
अवराइँ वि निसुणेवि पसत्थई । विभिएण नरनाहे जइवरु
पुच्छिउ वेयब्भसणां वइयरु । . सुज्जमित्तमुणिणा पुव्वुत्तउ
ता वित्तंतु असेसु वि वुत्तउ । प्रायन्नेवि पुनपावहो फलु
मुइवि रज्जु अवणीवइ अइबलु । कयविवेउ वइराएँ लइयउ
रायसहासें सहुँ पव्वइयउ। १० घत्ता-फणिसम्मु वि फणिसिरिभवइँ दुक्खनिरंतराइँ निसुणेप्पिणु ।
....निव्विन्नउ निग्गंथु हुउ सुज्जमित्तु महरिसि पणवेप्पिणु ॥१६॥
नाय सिरीण समेउ तिवेइय
जाय जइण तवसिणि निव्वे इय । अवरेहिँ वि निम्मलसम्मत्तइँ
लइयइँ सावयवयइँ पवित्तइँ। . अग्गिभूइ दियमुणि गुणगुरुणा
सहिउ सुज्जमित्तेण सगुरुणा । झाणबलेण सुक्ककम्मं गउ
सेलि अग्गमंदिरि मोक्खं गउ । नायसम्मु परिचत्तपमायउ
अच्चुयम्मि सुरवरु संजायउ । ५ सुंदरु जणमणनयणाणंदण
नायसिरी महु होज्जउ नंदणु । करिवि नियाणु सकम्में चोइय
गय अच्चुयहो सपुत्ति तिवेइय । कालें नायसम्मु तत्तो चुउ
इंददत्तइब्भहो तणुरुहु हुउ । . उज्जेणिहे जणनयणहँ रुच्चइ
सुमइ सुरिंददत्तु सो वुच्चइ । वावीसंबुहि सग्गि वसेप्पिणु
तहिँ जि सुहद्दो सेट्ठिह एप्पिणु । १० सव्वजसहि उयरम्मि रवन्नी'
धीय सुहद्द नाम उपन्नी। सुंदरि मालइमालावाहिय ।
सा सुरिंददत्तेण विवाहिय । ___घत्ता-दरिसेप्पिणु सिविणय सुहय पुव्वपुन्नसंपयसंपन्नउ ।
नायसिरी चिरु सुरु चर्वेवि सुहदिणि ताहि तणउ उप्पन्नउ ॥१७॥ १७. १ सुव्व।
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