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४५० ] सिरिचंदविरइयउ
[ ४५. २. ११पहुणा भणिउ पइज्ज न भंजमि
जं भावइ तं होउ न भुंजमि । अवरु वि हीणसत्तु किं किज्जइ
किं पुण जो निवपुत्तु भणिज्जइ । घत्ता–एम भणेवि भुक्ख जिणेवि तद्दिणि थिउ सलिलु वि परिवज्जिवि ।
अन्नहिँ दिणि सुहिय उ निवइ जिमिउ सपरियणु जिणपय पुज्जिवि ॥२॥
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सावएहिँ खज्जंत वि धीरा निसुणसु भल्लुक्किा खज्जंतउ मुणि नामें अवंतिसोमालउ होतउ णायमग्गरक्खियछलु सोमसम्मु तहो तणउ पुरोहिउ नियछक्कम्मनिरउ सुंदरमइ अग्गि व अग्गिभूइ पहिलारउ अगहियसिक्ख मुक्ख होएप्पिणु गोत्तिएहिँ गोवइ पडु जाविउ । उद्दालियसंपय हुय दुम्मण
दिहिह चलंति न चत्तसरीरा। घोरण वेयणाण अक्कंतउ ।। मरिवि समाहिउ गउ सग्गालउ । राणउ कोसंबीपुरि अइबलु । कासविनाम भामइ सोहिउ । ५ नंदण दोन्नि तासु हुय दुम्मइ । वाउ व वाउभूइ लहुयारउ । थिय घरम्मि गउ ताउ मरेप्पिणु । ते अजोग तें तप्पउ पाविउ । रायगेहु पुरु गय विन्नि वि जण । १०
घत्ता--सुज्जमित्तु नामेण तहिँ मायहो भायरेण परियाणिय।
प्रायन्नेवि वइयरु सयलु निद्धण मलिणवेस सम्माणिय ॥३॥
गोवंतें संबंधु हियत्ते
अहनिसु लग्गिवि तेण पयत्ते। चारु चउद्दह विज्जाथाणइँ
जाणाविय पावियसम्माणइँ। पागय घर पडु जाविउ राणउ
लधु गुणहिँ अहियारु चिराणउ । थिय सुहि होवि रायसम्माणहिँ
वेन्नि वि सीससयह वक्खाणहिँ । एत्तहे सुज्जमित्तु उवसंतउ
पासि सुधम्ममुणिहे निक्खंतउ । ५ झाणहुयासहुणियरइकतउ
कालें तत्थायउ विहरंतउ । वंदिवि सिद्धखेत्तु कयनिट्ठउ
भिक्खहे भिक्खासमण पइट्ठउ । तहो आहारु दिन्नु सिहिभूई
पावियनवविहपुन्नविहूई। घत्ता-मारुयभूइ एक्कु मुवि तहिँ वडयारणि मिलियहिँ भट्टहिँ ।
पेखेंवि सिहिभूइहे नवणु वंदिउ साहु विमुक्कमरट्टहिँ ॥४॥ १०
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