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________________ संधि ४५ धुवयं-सुगहियसिक्खु वि निक्कवउ रणि अरिनारायहिँ भिज्जंतउ । सुहडु व खवउ काइँ करइ दुसहपरीसहेहि अवकंतउ । तेण सया गणिणा गुणवंतें लेवावेवउ कवउ पयत्तें। धीरेवउ अप्पउँ साहारहि नियगुरुकुलु नियनामु महारहि । सिज्झइ इह परलोउ वि धीरहो वज्जइ अयसपडहु पर इयरहो। ५ चिरकयकम्मवसेण पराइय विसहहे वेयणछुहतण्हाइय। मुणि दीणत्तु करंतु न लज्जहि लइ कम्मारिमडाप्फरु भंजहि । निहणगमणु वर अविचलवाणिहे नउ सवणो दीणत्तणु माणिहे । सुणु सूराजणम्मि संभाविय | अविगाढप्पहारसंताविय। । सत्तुहुँ समुहुँ सरंत न संकहिँ समर मरंत वि वयणु न वंकहिँ । १० आहासमि एत्थत्थि कहाणउ पट्टणु दक्खिणदेसि पहाणउ । वरु कप्पउरु अत्थि तहिँ राणउ । सीलसेंदु अमरिंदसमाणउ । घत्ता--सीलमईमहएविवरु सावउ अभिगयसम्मादिट्ठिउ । सियपंचमिउववासियउ जामग्छइ नियभवणि परिट्टिउ ॥१॥ ताम वेरि बहुसेणविराइय सो वि सबलु सम्मुहउ विणिग्गउ . चूरिय संदण पाडिय हयगय रिउणा कंडे कप्पपुराहिउ । जाय गरुय वेयण अगणेप्पिणु जुज्झिउ ताम जाम वइरिहि बलु उच्छवेण पुरु विजइ पइट्टाउ मुच्छिउ कड्डिप कंडि सवेयणु वुत्तउ देव देहु तुम्हारउ पिज्जउ पेज्जु वेज्जु अं दावइ सन्नहेवि तहाँ उप्परि आइय । दोहँ वि सेनहें संगरु लग्गउ । मारिय सूर भीरु भज्जिवि गय । विधु भालि जयलच्छिपसाहिउ । भउडि करेवि उठ्ठ पइसेप्पिणु। ५ निहउ पणठ्ठ सेसु छड्डिवि दलु । . दिन्नासीसहिँ सव्वहिँ दिट्ठउ । .. किउ परिवार पुणु वि सचेवणु । हुयउ समेण वियलु सुहयारउ । इयरहँ अंगि समीरणु धावइ । १० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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