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कहकोसु
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जेठे लहुउ वुत्तु किं मूढउ
अच्छहि गव्वगइंदारूढउ । पणमहि किं न पावखयगारउ
भयवं सामिसालु अम्हारउ । एयहो पायपसाएँ भाइय
एह विहूइ अम्ह संजाइय ।। तेण पउत्तु वुत्तु पइँ चंगउ
पर दियजाइह एउ अजोग्गउ । जं असुइह खवणयहे नविज्जइ
अक्कमेण कुलकमु मइलिज्जइ। एउ सुणेप्पिणु तं गरहेप्पिणु
वइराइं घराउ निग्गेप्पिणु । अद्दि दयावउ नामें गंपिणु
सुज्जमित्तमुणिपय पणवेप्पिणु । विहियकसायपरीसहरिउजउ
अग्गिभूइ संजायउ संजउ । घत्ता-निसुणेप्पिणु तववत्तु दुहससिमउलावियमुहसयवत्तए ।
रूसिवि पवणभूइ भणिउ हुयवहभूइपियण ससियत्त ।।५।।
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तुहुँ निक्किठ्ठ दु? गरुयारउ
अवरु विसेसें ताउ तुहारउ । सुज्जमित्त जगपुज्जु भडारउ
निग्गुणु दुज्जणु दुक्कियगारउ । पडु पंडिउ जणम्मि विक्खायउ
अस्स पसाएँ तुहुँ संजायउ । जइ एवहिँ हयास नउ वंदहि
तो पच्चेल्लिउ निठुरु' निंदहि । तुज्झु अणिढें तउ भत्तारें
लइउं विमुक्कमोयवित्थारें। एउ सुणेवि तेण सकसाएँ
ताडिय भाइभज्ज सिरि पाएँ। नीसारिय' घराउ नग्गउ थिउ
भणिय जाहि जहिँ अच्छइ तुह पिउ । वुत्तु ताण मइँ पाउ तुहारउ
अन्नभवंतरि विप्पियगारउ । कडयड त्ति दंतहिँ चावेवउ
चूरिवि अट्ठिाइँ खावेवउ । घत्ता--थिय संसारि भमंति चिरु सा मुय एम नियाणु करेप्पिणु । . १०
मरुभूइ वि मुणिनिंदणेण मुउ मूढउ कोढेण कुहेप्पिणु ॥६॥
वच्छाजणवण कोसंबीपुरि
मुणिनिंदाफलेण इंखयधरि । जायउ खरि पुणु गड्डासूयरि
पुणु चंपहे पाणहो घरि कुक्कुरि । पुणु तासु वि सुय हुय जाइंभरि
अंधलिया कुरूव लंबोयरि । पिप्पलाइँ भक्खंती भुक्खिय
सिहिभूई पेक्खेप्पिणु दुक्खिय । भासिउ भव भमंतु पेच्छह जिउ
एहावत्थए वि जीवियपिउ । १ निद्धरु। २ लइ विमुक्क। ३ नीसारिउ। ४ मरुभूए ।
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