________________
सिरिचंदविरइयउ
[ ४४. १२. ६
४४४ ] नियपुत्तु मियद्धउ लोहवसु मारउँ पाढत्तु समित्तु तउ एत्थत्थि कहाणउ कहमि वरु तहो अत्थि तणउ रंजियजणउ देवीहे अजियसेणाहे हुउ सिद्धत्थु महंतउ चारुमई
आसाइयमहिसु यमासरसु । उव्वरिउ लेवि निम्महियभउ । उज्झहिँ सीमंधरु धरणिधरु । नामेण मियद्धउ बहुगुणउ । चरमंगु अणंगु व रूवजुउ । उसहाइसेणु वणि लोयपई।
घत्ता-सकडक्खउ सुपोहरउ गोवालायत्तउ ।
महिसीनो महिसिउ वरउ तो अत्थि बहुत्तउ ।।१२।।
गाहा–करिणि व्व सगेवज्जा घंटारवराइया मणोहरिया।
ताणं मज्झे पहाणा अत्थि सुहद्दा महामहिसी । गय वणहो मणोहरम्मि सरया
पसविय सा पड्डउ पउरपया । चिरवइरवसेण न रक्खियउ
गोविदगोविंदें भक्खियउ । वाराउ सत्त सो चेव हुउ
तहे उयर विहाणे एण मुउ । पुणरवि आवत्तउ गहियगया
नासेवि सुहद्दा दूरु गया । परियाणेवि तह पसमणसमउ
गोविंदु वि अणुमग्गेण गउ । संजायपसूय सुहद्द वणे
पड्डउ चट्टंति दिट्ठ वयणे। जाइंभरु सो तहो भीयमणु
पाएसु पडिउ कंपंततणु। तेण वि दळूण दयावणउ
मंभीसिउ सुउ महिसिह तणउ। १० मा वीहहि वच्छ न हणमि पई
तुह दिनउ अभयपयाणु मई ।। फंसेण करहो सम्माणियउ
सहुँ जणणिण जूहहो आणियउ । घत्ता-नउलु नामु किउ सयलहिँ वि पणिवाउ करतउ । गयउ पमाणहो चाडुवहिँ रंजियजणचित्तउ ।।१३।।
१४ गाहा-तत्थागयस्स एक्कम्मि वासरे उसहसेणसेट्ठिस्स ।
वयणेण तस्स सहसा पडिदो पाएसु सो सन्नी ।। रंजिउ वणि निउ सेरिहु घरहो
दाविउ नमंतु सीमंधरहो । तेण वि तो हट्टे हट्ट कवलु
देवाविउ पाविउ पुरि अछलु । सृहुँ चरइ पियइ हुउ पोढतणु
निवमन्निउ मन्नइ सम्बजणु । ५
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org