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४४२ ] सिरिचंदविरइयउ
[ ४४. ८. ३माणु वि फुडु सव्वाणत्थघरु
माणेण महावइ लहइ णरु । बलवंत वि सयरनरिंदसुया
माणेण पणट्ठा पीणभुया । प्रायन्नह निज्जियसक्कपुरे
इह भरहखेत्ति [विणियानयरे । ५ नामेण सयरु बलड्ड निवई
होतउ ] परमेसरु चक्कवई । रयणाइँ चउद्दह णव सुनिही
सुर अंगरक्ख चमु दिनदिही । पुरुदिव्वसोक्खसंजोयण
दिव्वाइँ वि भायणभोयणइं। आहरणइँ पत्तपसंसणइं
णाडउ दिव्वाइँ नियंसणइं । जसु दिव्वु दसंगु भोउ सहइ
गुणनिलयहो इंदु वि गुण गहइ। १० घत्ता--भाभासुर बलवंत गुणि पडिवक्खभयंकर ।
सट्ठिसहास तासु सुयहुँ संजाय सुहंकर ॥८॥
गाहा–दूरुज्झियमयपसरा पसरंतमहंतकित्तिसोहिल्ला ।
__सोहंतगोत्ततिलया तिहुयणजणमणहरायारा ।। ते सुंदर रंजियसयणसया
गुरुगव्व गिरिंदारूढ सया । न गणंति महंत वि अवर नरा
जगि अप्पाणउँ पेक्खंति परा। एच्छता पेसणु रत्तिदिणु
जणणेण भणिय कवडेण विणु। ५ कइलासि भरहराएँ कयई
जिणभवणइँ मणिकंचणमयई। . भुवणत्तयनाहनमंसियई
हयदुरियइँ साहुपसंसियइं। लइ जाह ताहँ रक्खणु कुणह
चउदिसउ खोल्ल खाइय खणह । जिह दुस्समकालि प्रमाणवहं
भज्जइ गइ अग्गइ माणवहं । ता तायाएसें सव्व जणा
अट्ठावउ गय ते तुट्ठमणा। १० तहिँ वारिय देवें मज्झ घरु
मा खणहो विणासहो जाइ वरु । किर चवइ काइँ को एहु कहो
जा खणहिँ वयणु अगणेवि तहो । ता भीमभईरहे मुवि तिणा
किय भप्परासि रोसियमइणा । चिरजम्म संघनिंदणहो फलु
पाविउ इउ आयन्निउ सयलु । घत्ता-सो सुयसोप्रण रज्जु मुवि निग्गंथु हवेप्पिणु ।
थिउ जिणवरतवि चक्कहरु सुव्वउ पणवेप्पिणु ॥९॥
गाहा--संपत्तो निव्वाणं समं सपुत्तेहिँ रायउत्तेहिं ।
सयरो सक्कसयच्चियपयारविंदो सुहं देउ ।। .
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