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________________ संधि ४४ कुमइप फासिंदियवसप्र लग्गिवि गोवालहो । नियनंदणु गहवइणिया मुहि छुद्धउ कालहो । गाहा–दाहिणदेसम्मि वरे नयरे नासेक्कनामधेयम्मि । गहवइ सायरदत्तो होतो इह आसिकालम्मि ।। पिय नायदत्त तहि उयरि हुमो तहो सिरिकुमारु नामेण सुप्रो। ५। सुहि सयणविंदपयणियपणया सिरिसेणा बालरंड तणया । खलु नंदिमित्तु नामें भणिउ गोवालउ पालइ नंदिणिउ । घरविणि दुच्चारिणि दुट्ठमई अच्छइ सहँ तेण निबद्धरई । लोयण दुवखंति पवंचु किउ एक्कहिं दिणि सो णियहम्मि थिउ। अमुणियपवंचु आसन्नखउ गोसामिउ गाविउ लेवि गउ । १० चारेवि ताउ सोवंतु वणे गोवेणावेप्पिणु तम्मि खणे । रयणिहं भल्लेण वियारियउ पच्छन्ने होइवि मारियउ। विणिवाइए पिश सब्भावच्या गहवइणि निरंकुस नवर हुया । जाणंतु वि मायहे किं करइ सुउ जूरइ अणुदिणु घुरुहुरइ । धत्ता-अन्नहिँ दिणि उद्देइयत्र सो ताण पउत्तउ । मारहि एहु वि दुट्ठमइ अच्छइ जूरंतउ ॥१॥ गाहा-तं निसुणेप्पिणु गोवो मंडिवि मिसंतरं ठिपो गेहि । इयरो वि गमो रन्नं चारे, लेवि गाईओ ।। गच्छंतु वणंतु किसोयरिए भायरु सिक्खविउ सहोयरिए । बंधव मा होज्जसु वियलु मणे रक्खेज्जसु अप्पउँ अज्जु वणे । पावेण एण हउ तुह जणणु संपइ पइँ दीसइ हणणमणु । ता गउ तहिँ लधुवएसु वरु सुरहियउ चरावेप्पिणु पसरु ।। वइसारेवि एक्कपवेसि पुणु उट्ठाविवि खोटु सपावरण। ५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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