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________________ ४३. १३. ६ ] · तिह कुह जेम जीवइ कुमारु ता सोमसम्मनामेण तेत्थु परमेसर गारुडसत्र्थ भणिउ लग्गइ खगिंदु सयमेव जइ वि तं सुवि पाणिपहणियपिरेण इँ जाणि तुम्हइँ महु सुयासु ससिसम्मु भइ उक्खयम्मि लइ तो विकरमि सामिय उवाउ किउ जेण कुमरजीवियहो अंतु निसुणेवि एउ आणा तासु नवक्कु तत्थ थिउ सप्पपोउ गाडिउ भणइ विससंकुलाइँ गंधणकुल उवसंहरइ गरलु मरणेण कुलक्कम मुयइ णेव तेहु गंधणगोत्ति जाउ नारिसइ खेडु न मंतु गणइ Jain Education International कहकोसु ११ घत्ता – एम भणेष्पिणु तेण नायाइट्ठि पयासिय । आणि तक्खर्ण तत्थ सयल सप्प पुरवासिय ।। ११ ।। १२ ता गाडिएण धरेवि भाणु आगरिसहि विसु ग्रहवा महंते म्हाण एहु निंदियपराप्र उग्गलिउ न केण वि गिलिउ गरलु वर मरणु न दुज्जसकरण जुत्तु इचिवि हुयवहे पइसरेवि फेडह तहु गरुयउ दुक्खभारु । पुहई भणिउ सुयसोयधत्थु | तिहि वारु वेल्लु मइँ सयलु मुणिउ । जीवइ न कुमारु नरिंद तइ वि । राएण भणिउ गग्गिर गिरेण । श्रावण हवेसह गुणजुयासु । किउ किंपि न लग्गइ इह जयम्मि | दक्खामि तुह मंतो पहाउ । धत्ता- - किं बहुणा भणिएण रूसेवि राएँ भासिउ । कहिँ एहु जाम न विसु ागरिसिउ || १२ || ताजा १३ [ ४३१ सोच्छउ दुज्जणु इयर जंतु । गय निरवसेस नियनियनिवासु । तं च्छिवि विभिउ सव्वु लोउ । निव वेन्नि होंति उरयहँ कुलाइँ । न कयाइ गंधणु माणबहलु । तं जाइवंतु वड्डमउ देव । मुच्चउ नरिंद खलु जाउ जाउ । हिमाणि न कुलमज्जाय हणइ । फणि भणिउ तेण गरुयाहिमाणु । इस रहि जल धगधगधगते । कमु प्राय गोत्तपरंपरा । मइलिज्जइ हा कुलु केम विमलु । किं मुच्च मच्चा हीणसत्तु । गउ नायराउ जमपुरु मरेवि । For Private & Personal Use Only ५ १० ५ १० ५ www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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