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४२४ ] तिरिचंदविरहयउ
[ ४२. २०.५ते तेण जि पहेण जाएप्पिणु
थिय दुग्गायलम्मि पइसेप्पिणु । ५ ता तहिँ धीय लएवि महाइउ
नंदु नाम गोउलिउ पराइउ ।। गरहिय देवि तेण मग्गिय मइँ
नंदणु कन्न काइँ दिन्नी पइँ। तुहुँ जि एह लइ एम भणेप्पिणु
जाइ जाम किर बाल' घिवेप्पिणु । ता वसुएवें भणिउ म गच्छहि
नंदणु नंद लेहि आगच्छहि । तेण वियाणिउ देवि पयंपइ
पल्लट्टेवि आउ विभियमइ । १० किं रुट्ठो सि वीर सुहयारउ
लइ मइँ एहु दिन्नु तुह दारउ । एउ सुणेप्पिणु देवि नवेप्पिणु
गयउ नंदु धरु नंदणु लेप्पिणु । घत्ता--एत्तहि लेवि जसोयसुय गय वसुएवहलाउह भवणहो ।
विगयविहावरि किंकरहिँ कहिय वत्त जीवंजसरमणहो ॥२०॥
देवदेव वसुएवो दइयहे
हुय सुय तुह वइरिणि देवइयहे । ता तहिँ एप्पिणु पुरसरहंसें
महिल भणेवि न मारिय कंसें । चूरिउ नासावंसु हयासें
चप्पिवि किय कुव्वडिय विसेसें । घल्लिय भूमीहरि रक्खाविय
कालें जंतें जोव्वणु पाविय । उवसामिय अज्जन गुणवइयण
हुय तवसिणि संजुय सुहमइयप। ५ सहुँ संघेण खवंती कलिमलु
गय विहरंती सा विज्झायलु । तहिँ दुग्गा विज्झा भिल्ला इव
धाडण एंत निएप्पिणु निक्किव । थिय भएण तणुचाउ करेप्पिणु
संघु वि गउ अग्गण वोलेप्पिणु । थिय पडिमाजोएण विराइय
देवि भणेवि तेहिँ पोमाइय । जइ परमेसरि लाहु लहेसहुँ
तो अम्हइँ तुह पुज्ज करेसहुँ । १० । एम्व भणेप्पिणु गय पणवेप्पिणु
जामावंति सत्थु ल्हूसे प्पिणु । घत्ता-ता खद्धी वग्घेण वर्ण गय सग्गहीं करकमलंगुलियउ ।
उव्वरियउ तहे तेहिँ तहिँ दिट्ठउ रुहिरवारिविच्छलियउ ॥२१॥
भत्तिभरेण पयाहिण देप्पिणु गलिवि गयाउ जाम ता कट्टे दुग्गविझभिल्लेहि पवत्तिय तप्पहूइ प्रज्जवि जणु जाणइ २०. २ बालु।
२२
नवियउ ताउ तेहिँ पुज्जेप्पिणु । विरइवि पुज्जियाउ विणु सढें । दुग्ग विझवासिणि तें वुत्तिय । देवि भणेवि मूढ सम्माणइ ।
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