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________________ ४२. २०. ४ ] , कहकोसु [ ४२३ परमेसर महरेसहो मइँ वरु दिन्नु केम किज्जइ अलियक्खरु ।। सो देवइजायाइँ हणेसइ किह तुम्हारउ वयणु हवेसइ । ता तहिँ देवईए फलसारहो साह धरेवि मुक्क साहारहो । तुट्टिवि विहिवसेण ससिसयणहो अंबयलुंबि एक्क गय गयणहो । एक्कु अंबु धरणीयलु पाविउ सो जि निमित्तु मुणिदें भाविउ । १० भणिउ तिन्नि जुयलइँ देवइयहे होसहिँ तणयहँ सुंदरमइयहे। जायमेत्त ते जणियाणत्था करिवि पवंचु हरेसइ हत्थहो । . . . इंदाएसें नइगमु नेसइ भद्दिलपुरि जिणवइ पालेसइ। घत्ता--वरिसइँ अट्र वसेवि घर चरमदेह तवयरणु लएसइ । ___ उप्पावि केवलु विमलु जगगुरु जगसिहरहो जाएसइ ॥१८॥ १५ जो सत्तमु सुउ उप्पज्जेसइ . नवमउ वासुएउ सो होसइ । पच्छन्नउ गोउलि वड्ढेसइ महुराहिवु जरसिंधु वहेसइ । रयणनिहाणु रज्जु पावेसइ तुह तणयहँ एक्कु वि न मरेसइ । प्राणंदियमणु एउ सुणेप्पिणु गउ वसुएउ साहु पणवेप्पिणु । कालें जंतें हुय देवइयहे पुत्तहँ जुयल तिन्नि सुहमइयहे। मायामयइँ समप्पिवि कंसहो रक्खिय नइगमेण विद्धंसहो । भद्दिलपुरवरम्मि सुहदिट्ठिहे सेट्ठिहे निज्झाइयपरमेट्ठिहे । भज्जहे जिणमइनामहे विमलहे तिन्नि वार हुयमुयसुयजुयलहे । नेवि समप्पिय ताग निहालिय निय सिसु मन्निवि नेहें पालिय। पुणु सत्तमउ सत्तमासहिँ सुउ हुउ वसुएवो बहुलक्खणजुउ । १० घत्ता-वासुएउ बहुगुणनिलउ अतुलपरक्कम असुरपरायणु । भुवणतयविक्खायजसु लच्छिनाहु नामें नारायणु ॥१९।। भद्दवयहो किण्हट्ठमिरत्तिह झत्ति जणेरु लेवि नीसरियउ विहडिय पवलि बालपयफंसें अग्गा धवलवसहु होएप्पिण अणवरयंबुछन्नदिब्भत्तिहे। बलएवेण छत्तु तो धरियउ । देउ को वि हरिपुन्नविसेसें । गउ जमुणाजलि मग्गु करेप्पिणु । १८. १ हवेसइ। २० १ दिज्झित्तिहे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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