________________
३८४ ] सिरिचंबविरइयउ
[ ३६. ७. ७उवइठ्ठ कज्जु हलि तुज्झ सुप्रो
होसइ सुहलक्खणलक्खजुनो। गंतूण उवेज्जसु पेयहरे
पावेसन एत्थु जि रज्जु पुरे । इय भासिवि गउ गुरुपासि नमी
आलोगवि पुणरवि जाउ जमी । एत्तहे वि पसूयउ ताण तहिं
लहु नेवि निहित्तु मसाणु जहिं । १० घत्ता-तहां नयरहो राणउ सक्कसमाणउ तहिँ अवसरि महसेणु मुउ ।
संताणुद्धारउ वइरिवियारउ बंधउ एक्कु बि नत्थि सुउ ।।७।।
मंतियणें मंतिउ मंतु तउ
सिंगारिवि मेल्लिउ रायगउ । तेण वि परिहरिबि असेसु जणु
जाएप्पिणु भीसणु पेयवणु। अहिसिंचिवि खंधि चडावियउ
पुरि परियणलोयहो भावियउ । करकंडु नाम किउ वइरिवहू
हुउ तप्पहूइ तो तत्थ पहू। किं एक्कु जि सो जगि जायजसु
अवरु वि सिरि लहइ सकम्मवसु । ५ एत्तहि नमि संजउ सुयणगुरु
मरुविसण पराइउ पुरिसपुरु । संपइ जं मूलथाणु भणिवि
जणु मणइ पडइ जहिँ सलिलु नवि । तहिँ सीहसेणनरवइह सुया
देविहं वसंतमालाहे हुया। नामें वसंतसेणा भणिया
किं वन्नमि रंजियजणमणिया । भामरिहे पइट्टे दिट्ठ सई
नमिणा कुमारि सा हंसगई। १० घत्ता–अन्नोन्नालोयणि सुहसंजोयणि विहि मि चित्तु चित्तहो मिलिउ ।
जिह को वि न जाणइ तिह तं माणइ निसिह गंपि विज्जाबलिउ ।।८।।
बहुदिवसहिँ सा गुरुहार हुया हा पुत्ति काइँ मज्जायच्या ता ताण कहिउ जामिणिहिँ जई तेणेहु मात्र महु गब्भु किउ इय धाइवयणु निसुणेवि पुणु ता धाइश देवाणं पि पिया जंतहो वसेवि पुट्टिहे वरहो निवनंदणीण उवएसु कउ दिणि किंकरेहि उवलक्खियउ
धाइ आउच्छिय चारुभुया। केमक्खहि उयरहो विद्धि हुया । एत्थावइ एक्कु अलक्खगई। परियाणहि सो दिणि मुद्धि पिउ । नो लक्खमि भासइ सा सुयणु। नरनाहतणुब्भव सिक्खविया । लाएज्जसु कुंकुमहत्थ तहो । कुंकुमकरेण सो जंतु हउ । आवेप्पिणु रायो अक्खियउ ।
५
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org