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सिरिचंदविरइयउ
[ ३८. ११. १
दोहा-तासु सरीरहो सीयलो अप्पाइयफंसेण ।
विसयासान नियाणु तय किउ दुक्कम्मवसेण ।। अन्नहँ भवि पयडियपरमनेहु
भत्तारु महारउ होउ एहु । इय करिवि नियाणु विमुक्ककाय
सोहम्मसुरिंदहो देवि जाय । केवट्ट वि मिच्छातउ तवेवि
हुउ जेट्ठहे नंदणु भवि भमेवि । ५ एत्तहि सावित्थिहे वासवेण
महएविहे मित्तमइह निवेण । विज्जुमई नामें जणिय कन्न
तडिदाढहाँ विज्जाहरहो दिन्न । सा देवि एवि तहे गब्भवासि
हुय कहव विणिग्गय नवममासि । निविनय पीडावसण ताण
घल्लाविय सावत्थिहे गुहाए । ता तहिँ चत्तारि दियंगयाउ
पुन्नेहिँ ताहिँ कीलहुँ गयाउ। १० घत्ता-ताहिं उमा उमि त्ति निवि रोवंती बाली। भणेवि उमा करुणाप निय मंदिरु सोमाली ॥११॥
१२ दोहा--गंपिणु राउलु राणियह दाविय मित्तमईहे ।
ताट वि पालहुँ पंडियह अप्पिय नियधाईहे ।। मज्झम्मि अद्धचंदह पहाणु
खगनाहु इंदुसेणाहिहाणु । तहि गयणंगणे चोइयविमाणु
एक्कहिँ दिणे आयउ विहरमाणु । सम्माणेवि तहो कूलउत्तियाहे
नियबहिणिहे भणेवि अपुत्तियाहे । ५ सा मित्तमईए सनामियाहे
अप्पिय गिरिकन्नियनामियाहे । ताए वि पयत्तें पालिऊण
किय जोग जुवाण निहालिऊण । सुंदरि सुरकूडपुराहिवासु
तडिरयो दिन्न विज्जाहरासु । मयमत्त सुठ्ठ सुरयाणुराय
मुश तम्मि उमा सच्छंद जाय । एक्कहिँ दिणि मग्गी देवदारु
तेण वि मुणेवि तहे तणउ चारु । १० घत्ता-दिन्नी रुद्दो रइगुणण ताइ वि पडु जाविउ ।
विज्जाविहवहीं अच्चुतह अद्धासणु पाविउ ।।१२।।
दोहा-रुदु वि रुदंबुयसरिसु तहे मुहकमलु नियंतु ।
अच्छइ अहनिसु सरिसरहिँ गिरिकंदरहिँ रमंतु ।।
१ इंदसेणा।
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