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________________ ३८. १०. ११ ] कहकोसु [ ३७७ विज्जाहररायकुमारियाउ न वि अम्हइँ अप्पण वारियाउ । जाणइ अम्हारउ मायबप्पु सच्छंदहँ कहिँ विज्जामहप्पु । घत्ता-अपेवि वत्थविहूसणइँ पुणु तेण पउत्तउ । पुच्छेवि पियरइँ अप्पणइँ महु कहहु निरुत्तउ ।।८।। दोहा--ताहिं तउ गंतूण घरु तायहो कहिउ नवेवि । तेण वि कंचुइ एक्कु तहिँ पेसिउ संदेसेवि ।। तेण वि गंपिणु मुणि भणिउ एव पइँ अम्ह सामि विन्नवइ देव । जइ मेहनिबद्ध मेहनिचर तह मेहनाश धणधन्ननिचए । निद्धाडिवि दाइउ जणियहरिसि पइसारहि तिउरि तिलोयह रिसि । ५ तो तुम्ह समप्पमि सोहणाउ नियधीयउ जणमणमोहणाउ । पडिवन्नउ रुदे करमि एउ । छुडु परिणहुँ नियदुहियाउ एउ । कंचुइणा एरिसु कहिउ एवि परिप्रोसिउ खयराहिउ सुणेवि । गंपिणु तहिँ सुहिसयणहिँ समेउ आणिवि घरि रुदु रउद्दतेउ। सम्माणिवि ससुरि कहिउ कज्जु जिह दाइएण अवहरिउ रज्जु । १० घत्ता-भणिउ सयंभुण जं भणहि तं सयलु वि सारमि । किं एक्कें तिउराहिवेण तिजगु वि संघारमि ।।९।। . दोहा-लहेवि भरोसउ भयरहिउ विविहछत्तधयछन्नु । देवदारु तं लेवि गउ मेलावेप्पिणु सेन्नु । वेढिउ पुरु किउ कलयलु रउद्दु नीसरिउ वइरि तहो भिडिउ रुद्दु । सुयाउ असहंतिउ रइ अट्ठ वि मुयाउ । सुरदारुवयंसहिँ पुणु वि तासु अट्ठहिँ चंदेहिँ हयाहियासु । सय पंच समुज्जलकंतियाउ । दिनाउ पयत्तें पुत्तियाउ । सोमालउ विसमरएण ताउ दिणि दिणि मरेवि सव्वउ गयाउ । तहुँ मरणें तिउराहिवनिसुंभु चिताविउ थिउ दुम्मणु सयंभु । आयन्नह अवरु महाणुराउ सहुँ गोरिण जिह निव्वाहु जाउ । घत्ता-एक्का अज्जिय पुव्वभर्व देसंतरु जंती। उत्तारिय धीवरेण नइ पहसमसंतत्ती ॥१०॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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