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सिरिचंदविरइयउ
[ ३८. २. १०घत्ता-वइरायही कारण हुयउ तहो तं पि सभज्जउ ।
चारणमुणिणा दिक्खियउ दूरुज्झियरज्जउ ॥२॥
५
दोहा-अवरोप्परु सनियाणु तउ नेहवसाइँ करेवि ।
__वेन्नि वि सोहम्महो गयई सन्नासेण मरेवि ।। परिपालियमाहेसरपुरासु
रायहो गंधारनरेसरासु । सो सुरु सग्गायउ गुणहिँ जुत्तु
सच्चमइहे सच्चइ जाउ पुत्तु । एत्तहे अच्चामालिणि वि देवि
आउक्खयम्मि सग्गाउ एवि। पविसिद्धाजणवत्र जणिय चोजे
विक्खा विसालीपुरि मणोज । चेडयनरनार्दा सुप्पहाहे
महएविहे हुय सुय सुप्पहाहे । नामेण भणिय जेट्ठा सउन्न
सा पुव्वमेव सच्चइहिँ दिन्न । पर अज्ज वि नवि किज्जइ विवाहु एत्थंतरि होवि सत्थवाहु । कन्नत्थें सेणियरायपुत्तु
तत्थायउ अभयकुमारु धुत्तु । भोलेवि लेवि नरवइसुयाउ
नीसरिउ सुरंगइँ कियउवाउ । घत्ता-वंचिय जेट्टा चेल्लणण पट्टविय निवासहो ।
अप्पणु आइय तेण सहुँ मंदिरु मगहेसहो ॥३।।
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दोहा--जामावइ जेट्ठा घरहो पडिम जिणिदहो लेवि ।
___ ताम न पेच्छइ ताइँ तहिँ वे वि गयाइं छलेवि ।। लज्जेवि जिणालउ गपि कन्न
पव्वइय समुज्जलहेमवन्न । मामहो पत्तीहे महामईहे
अज्जियहे पासि थिय जसमईहे । एत्तहि सच्चइणा मुणिवि वत्त
वेरगगें रज्जविहूइ चत्त । पव्वइउ नवेवि समाहिगुत्तु
तउ तवइ तिकालु तिगुत्तिगुत्तु । उत्तरगोकन्न मुएवि अद्दि
विहरंतु कयाइ अणंगमद्दि । आवेप्पिणु रायगिहहँ समीवि
थिउ गिरिवरि नामेणुच्चगीवि । एक्कहिँ दिणि गुणअणुराइयाउ
तं वंदहुँ अज्जिउ पाइयाउ । वंदेप्पिणु गिरि अोयरहिँ जाम
आइउ मेहागमि सलिलु ताम। १० २. १ जइरायहो।
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