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कहकोसु
३७. १२. ५ ]
[ ३७१ पुत्ति पयत्तें एउ करेज्जसु
जो आवइ सो उत्तरि देज्जसु । कज्जवसिउ कयाउ इय जंपेवि
गउ जणेरु तहे नाव समप्पवि । छत्तियकुंडियभिसियजडाधर
ता तहिँ पाइउ रिसि पारासरु। ५ तेण भणिय सा मइँ उत्तारहि
पुत्ति पइल्लउ पारु पणारहि । ता नावाण चडाविउ बाल
निउ नइमझउ थोरथणालए। तहि मुहु नयण जहण थणमंडलु
पेखेंवि हत्थहो पडि उ कमंडलु । खुहिउ तवस्सि थेरु विवरेरउ
किउ कुसुमसरसरेहिँ अधीरउ । पभणइ मइँ मरंतु जीवावहि
एक्कसि भद्दि सुरयसुहु दावहि । १० घत्ता--एम भणंतउ ती विणएँ तवसि निसिद्धउ ।
तुम्हहँ अम्हहँ संगु मुणि नियमेण विरुद्धउ ।।१०।।
तुम्हईं बंभरिसी जयपुज्जिय
तवसामत्थिय विसयविवज्जिय । अम्हइँ मच्छंधिय दुग्गंधिय
जणनिदिय णिक्किट्ठ दुबुद्धिय । तेण साहु संसग्गु न जुज्जइ
पुणरवि पारासरेण भणिज्जइ । हउँ तुह दसणेण हयथामें
पीडिउ सु? किसोयरि कामें । खणु वि न अच्छमि सक्कहुँ धीरहि दे आलिंगणु मा मइँ मारहि । ताण भणिउ हउँ मइल कुचेली
दूहवदुग्गंधिणि कुमहेली।। तुम्हंगहो अंगउ लायंतिह
संकइ महु मणु सूग वहंतिहे । एउ सुणेप्पिणु चितियमेत्तें
तेण तवेण समीहियकंतें । दिव्वरूव दिव्वंबरधारी
दिव्वाहरण तिलोयपियारी । चउकोसावहि कुवलयगंधी
सा किय नं कयग्रमरपुरंधी। घत्ता-पेखेवि तवसामत्थु सावाणुग्गहकारउ ।
इच्छिउ ताण भएण जइ वि न मणहो पियारउ ॥११॥
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धूमरीश पच्छाइयगयणे मेल्लेप्पिणु तउ मयणुम्मत्तें तक्खणि जोयणगंधहे जायउ पंचकुंचु परिहियकोवीणउ दीहजडाजूडंकियमत्थउ
किउ नइमज्झि पुलिणु तहे वयणे । माणिय इच्छण सा अणुरत्त । नामें वासु पुत्तु विक्खायउ । दिव्ववाणि चउवेयपवीणउ । छत्तियभिसियविहूसियहत्थउ ।
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