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३५. ६. २ ] . कहकोसु
[ ३५३ राउ विसर्जवि रिसि जामावइ
हुय महएविहे ताम महावइ । मुणिनिंदावाएण विसिट्ठउ
तवखर्ण कोठें अंगु विणट्ठउ। घत्ता-तं दद्रूण विरत्तउ तवहाँ नरिंदु गउ ।
रिसिनिंदापावें सइ भमिय अणंतु भउ ॥६॥
महुबिंदु व इंदियसुहसंगमु ।
एक्कु पुरिसु नामेण तिविक्कमु । कहिमि जंतु वणि वग्घे खेइउ
निवडिउ जुन्नावडि भयभेइउ । पाउसु व्व पुनहिँ संभाविउ
तहिँ सरठो दु पडतें पाविउ । दिढु धरेवि थिउ कंपियकायउ
जाम निहालइ दिसउ वरायउ । ताम फारफुक्कारभयंकरु
कोणहिँ फणिचउक्कु तलि अजयरु । ५ पेच्छइ उंदुरेहिँ खज्जंतउ
विहिँ सियासियहिँ सरु विद्धतउ । वग्घु वि ताम तत्थ संप्राइउ
कूवब्भंतरि नरु निज्झाइउ । भमइ चउद्दिसु हत्थु पसारइ
पावइ नाहि केम किर मारइ । अलहंतेण पसारियसाहउ
तडतरु तेण तलप्पा आहउ । घत्ता–ता साहहि वियलियमहु उड्डिउ मक्खियउ ।
तहिँ महुबिंदु पडतउ तेण निरिक्खियउ ।।७।।
५
निवडिउ मुहि पडिहासिउ मिट्ठउ
पेच्छह एम सव्वु जगु नट्ठउ । महुलवलेहणु सुहु बहु मन्नइ
मेरुपमाणु दुक्खु अवगन्नइ । संसाराडईहिँ हिंडंतउ
मरणमहावग्घेणाढत्तउ । पडिउ सरीरकूवि अंधारण
चउकसायसप्पासुहगार। वाहिहिँ महुयरीहिँ खज्जंतउ
विसयसोक्खु महुबिंदु लिहंतउ। लग्गउ आउसथोडे पसंसिप
उहयपक्खमूसयहिँ विणासि । गरुयपावभारेण खसेसइ
नरयाजयरहो मुहि निवडेसइ । तिलु तिलु नारइएहिँ करेवउ
एव दुक्खु जीवेण सहेवउ । घत्ता-संसारण महुबिंदु व सुहु दुहु मेरुसमु ।
एउ वियाणिवि सासयसोक्खो करहो गमु ।।८।।
जादो हु चारुदत्तो गोट्ठीदोसेण तह विणीदो वि । गणियासत्तो मज्जे सत्तो कुलयनासो य तहा ॥ [भ. पा. १०८२]
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