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________________ ३५. ४: ८ ] ता देवीण करेप्पिणु निच्छउ देहि सुद्धि दुज्जसमलु खालमि भासिउ वसुएवेण किमन्ने एयह उहयतडइँ रेल्लंतिह मज्झि परिट्ठिय पडिमाजोएँ नत्थि भंति ता होहि महासइ कहको [ ३५१ भणिउ नाहु जणचोज्जु नियच्छउ । सयणकुडुंबवयणु उज्जालमि । दीवें देवि लोयसामन्ने। नइहिँ महापूरेणावंतिहे। जइ न वहाविज्जहि तुहुँ तोएँ। १० प्रायन्ने वि एउ निम्मलमइ । घत्ता-जइ वसुएउ मुएप्पिणु अन्नु कयाइ मणे । तो बोलेज्जसु निज्जसु निच्छउ मइँ जउणे ॥२॥ जणही नियंतहो एम भणेविण थिय तणुचाएँ मोणु करेविणु । ता तहिँ ताहे पहावें थंभिउ एंतु जलप्पवाहु जणु विभिउ । उम्मग्गिउ जलु बोलिज्जतें पुक्कारिउ लोएण मरतें। रक्खहि अम्हहं मरणु महावइ तुहुँ परमेसरि सुद्ध महासइ । जो तुह देइ आलु अवियक्खणु सो निदिउ पाविठ्ठ अलक्खणु । ' ५ . ता भासिउ देवी सइत्तणु जइ महु अत्थि लधु गुणकित्तणु । ता कालिंदि म बोलहि पट्टणु करि दक्खिणहि दिसाहि नियत्तणु। तद्दिवसावहि किय उत्तरगइ अज्ज वि वहइ तत्थ जउणा नइ । घत्ता-अइसउ अइसउ पेक्खिवि विभिय सव्व जण । पुज्जिय रोहिणि देवहिँ सइ सुविसुद्धमण ॥३॥ १० कामो वि हु दीसंति गुणड्डउ सीयाएविहि एत्थ कहाणउ सप्पेहि वि खद्धाउ न पेच्छह सावएहिँ कामो वि न खद्धउ अत्थि वणिउ जिणदासिन पत्तिय सो कयाइ कज्जेण सभज्जउ अंतरालि वणि कासु वि वयणे कि आयइँ कम्मइँ कुलउत्तिहे ३. १ रक्खइ।.. न जलंतेण वि सिहिणा दड्डउ । . अक्खेवउ सम्वत्थ पहाणउ । सोमहे एत्थ कहहि मालाकह । ------- चंपाउरि जिणदासु पसिद्धउ । सोहिउ ससि व समुज्जलदित्तिए। ५ , गउ सावित्थिहि सत्थसहेज्जउ । .. भणिय तेण पिययम दुव्वयणे । सा सइरिणि जा हिंडइ रत्तिहे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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