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- ३४. ५. २ ]
कहकोसु
धत्ता - जेण विलिज्जइ वाहि होइ संति पुरसहो । एम करेमि नवेवि गउ धणदत्तु निवासहो ॥२॥
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मुहकमलोहामियसयवत्तहो वल्लहे रायाएसु करेवउ लोहो रोयवियारु हवउ पच्छइ पि सुविहाणु करेज्जसु ता धुत्ती ती उवलक्खिउ मज्भ सइत्तणिभंजणचित्तहो
जाणइ जइ भत्तारु पयट्टइ पण एउ वणीसरु
सहुँ सत्थें थोवंतरुगंपिणु
वीसासेवि समित्तु बँधाविउ अच्छिउ तहिँ नरयम्मि व नारउ ता संवच्छरंति संप्राइय नाणा पक्खिपक्ख प्राणेपिणु चंचु पक्ख पय पुंछु करेप्पिणु भासिउ पुहईसेणुव्वेल्लहि तेण वि सण्हसरेणालत्तं सदु सुणेवि महीवइ घोसई hasa पक्खावरण निरिक्खि उ तारुण नरिंदें ताडिउ
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घत्ता- - एतहे संक मुएवि सहुँ सुहीहिँ अणुराइयउ । णिसिसमयम्मि कडारपिंगु तत्थ संप्राइयउ ||३||
प्रसणि व माणगिरिंदवियारी भारहरामायणइँ अणंत इँ
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घत्ता - पायालहो पावेण गउ अवरु वि पावइ एम
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पि कहिय वत्त नियकंतहो । मइँ सुवन्नदीवहो जाएवउ । इह किंजप्पु पक्खि प्राणवउ । घरु परियण कुटुंबु चितेज्जसु । कारणु नियभत्तारो क्खि । एउ पवंच महंतयपुत्तहो । तो महु एक्कल्लिय कहिँ छुट्टइ । सोहदिणि पणवेवि णरेसरु । एप्प थिउपच्छन्नु हवेप्पणु ।
नारि अणत्थमूलु विरुयारी | जुज्झइँ जुवइनिमित्तें वुत्तइँ ।
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ता गृहकूवम्मि छुहाविउ । कूरसरावें किउ साहारउ ।
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वि परोहण सेट्ठिसहाइय | पावयम्मु कूवह कड्ढेप्पिनु । दाविउ रायहे राउलु नेप्पिणु । लइ किंचि वि किंजप्पय बोल्लहि । कि जंपमि किं जंपमि वृत्तं । कडा पिंगु फुडु होसइ । पुच्छिउ वइयरु वणिणा प्रक्खिउ । विच्छारिवि नयरहो णिद्धाडिउ । १० मरेवि हुउ नारउ । दुहई परदारारउ ॥४॥
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