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३३. १४. २ ] . कहकोसु
[ ३३६ इय चितिवि पच्छातावहो
मुणि विमलचंदु जहिँ तत्थ गयो । पालोणाव निदिवि पहयरउ
तो पय पणवेप्पिणु लइउ तउ । करिणा इव सल्लइ पाणपिया
पुणरवि संभरिया तेण पिया। ५ पडिकमइ न वंदइ देउ जिणु
झायइ तणुसुंदरि एक्कमणु । अंगुट्ठयदोसें दुल्लहिया
परिहरिय काइँ मइँ वल्लहिया । मणपज्जवनाणे मणु मुणिउ
दीवायणु मुणि गुरुणा भणिउ । जो महिलहि उप्परि करइ रइ.
तो दूरि परिट्टिय परमगइ। संसारहो कारणु खलु जुवई
सो जो न विवज्जइ जणियरई। १० सो भवि भवि दुक्खहँ भायणउ
उप्पज्जइ दीणु दयावणउ । इय अक्खइ तासु महासवणु
पर तो वि न ठायो एइ मणु । घत्ता-एत्तहे तम्मि गयम्मि रायभएणाकंतण।
___ कंठे करेप्पिणु पासि पाण विसज्जिय कंत ॥१२॥
दुवई-वत्त सुणेवि पाणु पुहईसें कोक्कप्पिणु भयाणए ।
सा कड्डाविऊण घल्लाविय रोसवसें मसाणए । अंगुट्ठउ नट्ठउ एक्कु जई
तो किं विरूव हुय हंसगई। उवमिज्जहिँ कासु वि मुक्कमला
रत्तुप्पलकोमल कमकमला । जंघउ गोपुच्छायारियउ
लडहउ जुवाणमणहारियउ । मसिणउ मंडियउ सुसंधियउ
नं वरकइकव्वाँ संधियउ । निरु सुंदर ऊरुय सोक्खयरे
तोरणखंभाइँ व कामघरे । रमणहो सनियंबहो सोहणहो
तइलोक्कचक्कमणमोहणहो। वन्निज्जइ काइँ गुरुत्तणउ
जं किउ गरुयहँ वि लहुत्तणउ । तिवलिउ तहो सुठ्ठ विराइयउ
नावइ कामउरहो खाइयउ । वररोमराइ जणमणु हरइ
तणु तणुससिरेहहे अणुहरइ । नाही वि अणोवमरूवडिया
नं सोहग्गामयकूवडिया । घत्ता-थोव्वड थोर घट्ट थणमंडल संगय पीण पीवरा । _ नाइँ अणंगरुक्खफल रइरसपूरिय जणमणोहरा ॥१३॥
१४ कोमलसरलंगुलिसोहधरा
कामंघिवपल्लव नाइँ करा । मालइमालोवम कहो न पिया
भय कामएवपास व्व थिया । १३. १ मणिमोहणहो।
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