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३२. १. ३ ] ,
कहकोसु
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ता भणिउ देवीण जइ एहु वाउलउ तो किं न अन्नं पयंपेइ वाउलउ । पर देव तुम्हारए अत्थि न वियारु तं सुणिवि मोणेण थिउ वइरिविड्डारु । एत्तहि वि मज्झण्हि सिरिभूइ संपत्तु सहुँ तेण तहिँ जूउ राणी पाढत्तु । हार त्ति पडि ता महारायवयणेण
मणिमुद्दिया' सारियं गहणयं तेण ।। दाऊण तं हत्थि एयंति सिक्खविय
सिरिभूइघरु धाइ देवीण पट्टविय । ५ गंतूण तहिँ ताइँ रयणाइँ धुत्तीय
मग्गियइँ कहिऊण सविणाणु तं ती । एमेव पट्ठविय तुहुँ नत्थि रयणाइँ
गय धाइ निसुणे वि बंभणिर्ह वयणाइँ । पुणु कहिवि सिरिभूइ भोयणो चिण्हाइँ पट्टविय पर तो वि पत्ताइ नउ ताइँ । हारियउ दियचिण्हु मणिमउ पुणो तेण गय लेवि सुमई महादेविवयणेण । मग्गियइँ रयणाइँ दियपत्ति तुह कंतु दे देहि सहसत्ति अच्छेइ रूसंतु। १० जन्नोवईयउ तो' ताण पेक्षेवि
पट्टविय रूसेवि सा ताइँ अप्पेवि । घत्ता-लेप्पिणु रयणाइँ देविट भणिउ नराहिवइ ।
छड्डिज्जउ जूउ वट्टइ मज्झि दिणाहिवइ ।।७।।
ता अक्खकील राएण मुक्क
गय सयल वि नियनियनिलउ ढुक्क । अवरोहकालि भुत्तुत्तरम्मि
महएविए रायही नियघरम्मि । जाणाविउ माणिक्कइँ नवेवि
संथुय तुटेण निवेण देवि मेलिवि बहुरयणहँ मज्झि ताइँ
हक्कारिवि वणिसुउ दावियाइँ। तेण वि निव्वाडिवि अप्पणाइँ
लइयइँ को न मुणइ नियधणाइँ। ५ हक्कारिवि राएँ सच्चघोसु
सो सेण भणिउ संजणियदोस्। पइँ एण मिसेण हयास सव्वु
वीसासिवि जणु अवहरिउ दव्यु । बंभणु तें करमि न खंडु खंडु
लइ पावयम्म तुह एहु दंडु।। घत्ता-मुट्ठिक्कहँ पंचसयहँ सहहि मल्लहो हणणु ।
खल गोमयथालु खाहि देहि अह सव्वधणु ।।८।।
पाहूय मल्ल जीवियहरेहिँ
हउ मुट्ठिपहारहिँ निठुरेहिँ । असहंतें भासिउ खामि छाणु
लइ खाहि पयंपिउ णरपहाणु । गोमउ वि न सक्किउ खाहुँ तेण
ल्हूसाविउ धरु पालियपएण । ७. १ मुणिमुद्दिया।
२ जन्नोवइयत्तउ।
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