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________________ ३२६ ] सिरिचंदविरइयउ [ ३२. ६.४मरिऊण अट्ट झाणेण पाउ हुउ गृहु भंडारण गरुउ नाउ । नामेण अगंधणु विसमविसु कलिकालु कियंतु व सप्पमिसु । ५ ता तूसिवि राएँ चारुचित्तु किउ रायसेट्ठि वणि भद्दमित्तु । धम्मिलु नामेण मणोहिरामु किउ विप्पु पुरोहिउ धम्मधामु । एक्कहिँ दिणि असणवणम्मि तेण कंडारयगिरिवरि वणिवरेण । घत्ता-वरधम्मु मुणिंदु वरधम्मो व्व नियच्छियउ । सायारिउ धम्मु तहो वयणेण पडिच्छियउ ।।९॥ १० । गउ मुणि तहिँ अच्छइ वणिउ जाम नियमायण वग्घि दिठ्ठ ताम । भक्खिउ चक्खियण नियाणजुत्तु हुउ रामदत्तदेवीहे पुत्तु । छणयंदु व नामें सीहचंदु वीयउ उप्पन्नउ पुन्नयंदु । विहिँ पुत्तहिँ सोहइ राउ केम दइउज्जमेहँ सप्पुरिसु जेम । एक्कहिँ दिणे दव्वालोयराउ नियभंडायारि पइठ्ठ राउ । चिरवइरें अनियत्तियगरेण तें डसिउ हयासें उरयरेण । मुच्छेवि पडिउ विसवियलकाउ परियणजणि हा हा सद्दु जाउ । हक्कारिउ नामें गरुडदंडु गारुडिउ गरलगिरिवज्जदंडु। काउंयरमंतें तेण नाय पाहूयासेस वि झत्ति प्राय । तहो वयणे जलणि पईसरेवि गय सयल वि सुद्धा नीसरेवि । घत्ता-गय नियनियनिलउ फणि सो परेक्कु तहिँ थक्कउ । तेण पउत्तु खल खयकालु अज्ज तुह ढुक्कउ ।।१०।। १० आयरिसहि विसु दुन्नयसहाव निसुणेवि एउ चितइ फणिदु महु तणउ अगंधणु कुलु पवित्तु चिरवइरहो किउ पडिवइरु प्रज्जु इय चितिवि जाईसरु सरेवि कालवणि चमरु तिरियंचु जाउ एत्तहिँ अटेण मरेवि राउ धम्मिलु वि पुरोहिउ रत्तवयणु वइसणइ बइट्ठउ सीहचंदु अहवा लइ पइसहि जलणि पाव । लंधिज्जइ किह कुलकमु अणिदु । मइ लिघइ गिलंतह विसु निहित्तु । फुडु एवहिँ मरणु जि महु मणोज्जु । गउ जलणि जलंत पइसरेवि। अवरहो वि सपावो एहु नाउ । हुउ सीहसेणु वणि गरुउ नाउ । हुउ मक्कड्ड पिंगलु लोलनयणु। जुवराउ परिट्ठिउ पुन्नचंदु । ५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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