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नयवंतु प्रत्थि जियवइरिसेणु तहो पाणपियारी रामयत्त सिरिभूइ पुरोहिउ सच्चवाइ विस्सासथाणु सव्वहो जणासु घत्ता - एत्त वणिउत्तु भमित्त पोमिणिपुरहो । fraण धणउ गउ दीवहो रयणायरहो ॥४॥
तहिँ पंच पत्ते पाविऊण सिरिभूइपास थविऊण तेत्थ नियtयणहँ मिलिवि सहाय लेवि सिरिभूइ भइ भुल्लो सि बप्प सुविणे विण अम्हारइँ परासु तं निसुणिवि लोयहँ कहिय वत्त पच्चेलिउ कलह वि लइउ केम
जाहि हयास पिसायघत्थु जइ कहमवि मंदरु मुयइ ठाणु इउ तो वि न करइ महाणुभाउ
सिरिश्चंदविरइयउ
पुक्कारइ पुरि ववगयविहूइ न वियाणइ किंपि न कहिँ मि रमइ निसि पच्छिमद्धि वड्डुं तदुक्खु पुक्कारइ उक्खयवइरिकंद रयणाइँ पंच सिरिभूइ लेवि गय एम भणतहो तो छ मास महवि पपइ रामयत्त तुह रज्जि समुन्नइ तक्कराहँ
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६. १ एहु रथहो ।
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धत्ता -राएण वि तासु न किय समक्ख समाउलउ । उ प्रत्थगण भद्दमित्तु वणि वाउलउ ॥५॥
सीहउरि नरेसरु सीहसेणु । महवि महासइ कमलनेत्त । सुपसिद्धउ परधणहरणचाइ । सिरिदत्ता नामें कंत तासु ।
[ ३२. ४. ७
रणाइँ अणग्घइँ प्राणिऊण ।
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गउ मग्गभएण निवासु जेत्थु | प्रावि विप्पु मग्गउ नवेवि । अन्नत्त गवेसहि निव्वियप्प | घिप्पइ इहरत्तपरत्तनासु । तेहिँ मि तहो कि पि न किय परित । बहु रहि एक्कु वि सिद्घ जेम । तुहुँ तेण पयं हि अप्पसत्थु । जइ पच्छिमदिसि उग्गमइ भाणु । सिरिभूइ महामइ मुक्कपाउ ।
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घत्ता - पियवयणु सुणेवि भणइ महीवइ कुलतिलउ । जं भावइ एहु बोल्लइ वल्लहे वाउलउ ||६॥
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थिउ रयणइँ लेप्पिणु लच्छिभूइ । वेढि जर्णाडिभसएहिँ भमइ । निवभवणासन्न चडेवि रुक्खु । परिताहि परिताहि गरिंद | थिउ नवर नराहिव निण्हवेवि । एक्कहिँ दिणि दूरुज्भियदुरास | दुत्थहो कि पिन किय परित्त । खउ सुयणहँ सव्वसुहंकराहँ ।
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