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३१८ ] सिरिचंदविरइयउ
[ ३१. २. ११रइऊण तेण परिवाइयहे
अप्पिउ सव्वत्थसमाइयहे । सा विण्हुदत्त नामेण तहिं
गय तं लएवि सा सुलस जहिं । घत्ता–वम्महसरभत्थहँ पासयसत्थहँ हरिसु जणंतिए ऊणहियए।
नवकंचणवन्नहँ अग्गा कन्नहँ तं वायहुँ अाढत्तु तए ॥२॥
विउलइँ नियंब मुहकमलु उरु
गंभीरइँ नाही सत्तु सुरु । तणु मज्झ कवोलु गुप्फसहिउ
सुहभायणु अवरु उयरु कहिउ । पय नक्क कियाडी भालयलु
जपणु वि समुन्नउ वच्छयलु । रत्ताइँ सत्त जीहाहरई
कर कम मणि नयण नहइँ वरई । सुण्हाइँ रोम तय रय' नहई
अंगुलिपव्वाइं पंच सुहई। मडहाइँ लिंगजंघाजुयइं
सहुँ गीवइँ पट्ठि पंच थुयइं । प्राणंदियजणमणइक्खणइं
एयइँ सुपसत्थइँ लक्खणइं । हलमुसलकलसपासायउसा
करि चक्कमयरजुवमालरसा । अवर वि कमलकुलिसंकुसई
छत्तद्धयतोरणपट्टिसइं। दीसंति जासु सो पुहइवरु
अणुहुंजइ रज्जु जेम सयरु। १० घत्ता-एयाइँ पसत्थइँ जणियसुहत्थई उत्तमपुरिसहँ लक्खणइं।
पयडियसंतावें पावपहावें सेसइँ होंति अलक्खणइं ॥३॥
पंचास दोस फुडु अंधलए
काणम्मि सट्ठि सउ पंगुलए । खुज्जइ दोसय बहु दुहजणणा
महुपिंगलि दोस अणंतगुणा । वरु अंधु न काणउ कायरउ
वरि काणउ होउ म केयरउ । वरि एउ न दिठ्ठ अमंगलउ
सव्वहँ विरुद्ध महुपिंगुलउ । महुपिंगु विवाहइ जा जुवई
सा होई रंड न लहइ रई । अह किं बहुणा कयतंडवइ
समयम्मि विवाहहो मंडवइ । पइसारु देइ जो पिंगलहो
पाविट्ठहो सुधु अमंगलहो । सो सइँ हत्थे दुहवत्तणउ
नियसुयहे देइ विहवत्तणउ । घत्ता-पायन्निवि बाली चलभउहाली महुपिंगुवरि विरत्तमण ।
जाणेप्पिणु धुत्तिण कुवलयनेत्ति पव्वइयण जणमणदमण ॥४॥ १०
३. १ नय कय।
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