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संधि ३१
धुवयं-दुरुज्झियतावें सच्चपहावें नारउ परिपुज्जिउ सुरहिं ।
__वित्थारिवि दुज्जणु सच्चविवज्जणु पव्वउ नीसारिउ नरहिं ॥ पत्तावमाणु विच्छायतणु
गउ पव्वउ कहिँ वि पइठ्ठ वणु । एत्तहं कुरुजंगलजणपउरे
नरनाहु सुजोहणु नायपुरे । महएवि तासु नामें अतिही
सइ सोहणगुण लायन्ननिही। हुय तहे सुय सुलसा हंसगई
नियरूवोहामियरंभरई। एत्तहे पोयणपुरि पुहहवई
नामेण सुपिंगु विसुद्धमई। तहो देविण अमरमणोहरिए
संजायउ पुत्तु मणोहरिए। नामें महुपिंगलु मयणसमु
दरियारिदप्पनिद्दलणखमु । तो सुलस निवेण सुजोहणेण
निय वहिणीउत्तहो सोहणेण । १० पडिवन्न आसि सहसंगहणु
अज्ज वि न होइ पाणिग्गहणु । घत्ता-उज्झह सिरिसारउ वइरिवियारउ अत्थि सयरु नामें निवइ ।
वसुरायही नंदणु नयणाणंदणु नावइ सग्गि सुराहिवइ ।।१॥
निसुणेवि अणोवमरूवसिरी अणुराइउ पुहईसरु सयरु गंतूण तेण करिनायपुरु तेण वि पउत्तु जसनिम्मलहो इय कहिउ अमच्चें एवि तहो किं किज्जइ जेण मरालगई विणु ताण निरुत्तउ महु मरणु पहु एम भणंतु निवारियउ जिह पावइ सा तुह तिह करमि इय भणिवि सुहासुहफलदरिसु
सा सुलसा नं पच्चक्ख सिरी । संपेसिउ मग्गहुँ मंतिवरु । पत्थियउ सविणएँ कन्न कुरु । मइँ दिन्न धीय महुपिंगलहो । संजाय चिंत वसुहाहिवहो । पाविज्जइ सा पच्चक्खरई। अत्थक्कइ ढुक्कउ जमकरणु । मंतीसरेण साहारियउ । अह नं तो हुयवहि पइसरमि । सामुद्दउ चिरपोत्थयसरिसु।
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