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________________ २६. ६. ७ ] मुणिवयणु सुप्पिणु गयउ तहिं चरण खणेपणु दावियउ धी धी संसार असारयरु नंदो समपिवि निययपउ अवरु वि जणु तं पेक्खेवि हुउ केहिँ वि जिणदेवदिक्ख लइया घत्ता -- पार्लेवि पंचाणुव्वयइँ गुरुप्राणइ कहको सु सिप्पानइसमीवि सविसेसग्र धीवरु जलसंचारपवीणउ जमघटारउद्द तहो केही कहिमि कालि नामेण जसोहरु नंदवण संघ सहुँ संठिउ मियसेणु वि पारद्धिहे चल्लिउ आइ कोड्डें तत्थ तुरंतउ गए जणवप्र वउ लज्ज मुएप्पिणु भासइ रिसि वउ तुज्भु न जुज्जइ नियखेत्तमियार दव्वु जहिं । वसुदामउ पच्छा तावियउ । भणिऊण एउ वेरग्गपरु । संजाउ दियंबरु लेवि तउ । सहुँ देवि जीवदया जुउ । इँ वि संजाय अणुव्वइया । Jain Education International सम्मत्तु धरेप्पणु । छेलो वि सुहलोउ उ मरणयालि जिणु मणि सुमरेप्पिनु ||४|| ५ जीवदया होदि अप्पणो हु दया । एत्थक्खाणं । ता मियसेणें भणिउ भडारा जं पहिलारउ जालि पडेसइ एम भणेवि लेवि खणु तेत्तहे तत्थ तेण जालेण निबद्धउ मेल्लिउ मच्छकुल क्खयकालें रवि चिहु परियाणिवि चत्तउ गउ दिवसयरु ताम अत्थवणहो घत्ता - ता विहूणउ कियउ वउ णिप्फलु जाइ सव्वु प्रकियत्थउ । वउ वि सुदिट्ठिविवज्जियउ वयणु व छिन्ननासु अपसत्थउ ||५|| [ ३०१ सिंसवगामि अवंतीदेसग्र | प्रत्थि पडु नामें मियसेणउ । हिणि जमरायहो विहि जेही । महारिसि तत्थ जसोहरु । गउ जणु तं वंदहुँ उक्कंठिउ । पेच्छिवि लोयजत्त गंजोल्लिउ । यन्निव मुणि धम्मु कहंतउ । मग्गिउ तेण साहु पणवेष्पिणु । पढमउ जीवरक्ख तहिँ किज्जइ । किं बहु पावविणिवारा । तं महु अवसमेव न मरेसइ । ताम जाम सरवारउ पत्तउ । अवरु विनिव्विन्नउ नियभवणहो । For Private & Personal Use Only १० ५ सिप्पासरी दहु जेत्त । एक्कु पोढ़ पाढीणउ लद्धउ । पुणरवि सो ज्जे निबद्धउ जालें । ५ १० www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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