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३०० ] सिरिचंदविरइयर
[ २६. २. ५महिमुच्छवि वसुदामेण पुणु
मारहुँ निज्जंतु देविभवणु। ५ आलोग्रवि मुणि निजरियरउ'
जाइस्सरु' खणि संजाउ अउ । बे बे त्ति भणंतउ गहियभउ
तरुतलि मुणिणाहहो पासु गउ । नाणेण तो मुणिणा मुणिउ
पेक्खंतहो तो बोक्कडु भणिउ तुहुँ मूढ आसि असुघायपिउ
एवहिँ अणुहुँजसु पुवकिउ। एवहिँ कि कंदहि को धरइ
अम्हारिसु लोयहो किं करइ । १० परिपुच्छिउ वसुदामेण मुणी
कहि किं किमेउ ता कहइ मुणी । घत्ता-एहु छेलु वसुदाम तुह तणउ ताउ पावेण मरेप्पिणु ।
सत्त वार हुउ बोक्कडउ दिन्नु सहत्थें देविहि नेप्पिणु ।।२।।
पइँ भक्खिउ आयहो तणउ वउ
संपइ सुमरेप्पिणु पुव्वभउ । मइँ एहु समासइ विन्नवइ
परितायहि परितायहि चवइ । पभणिउ मइँ रिद्धिनिमित्तु किउ
जं पइँ तं एप्पिणु पुरउ थिउ । हउँ रक्खेवइँ असमत्थु जणे
जं रुच्चइ तं चिंतवहि मणे । आयन्निवि दव्वदामु चवइ
मुणि एउ कयावि न संभवइ । उज्जाणि जेण एरिसु विउलु
काराविउ देविहे देवउलु। अणवरउ उवाइउ जीववहु
किय पुज्जिय अंचिय देववहु । जइ तेण न पाविउ मोक्खपउ
तो निच्छउ सग्गु सदेहु गउ । निसुणेवि एउ भासइ सवणु
जइ जीववहाइ सग्गगमणु । तो धीवर पारद्धिय पवरा
सुरलोइ मणोहर होति सुरा। पत्ता-जीववहाए न धम्म सुय ताइँ नवर नरयहो जाइज्जइ ।
सुहगइ जीवदयाइँ पर सासयसोक्खलच्छि पाविज्जइ ॥३॥
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वसुदामु पयंपइ किं बहुणा धणु थविउ मज्झ किंचि वि कहिउ जाणमि जाईसरु जइ कहइ मुहु जोइवि मुणिणा भणिउ पसु जं जीवहि न तो धुवु मरणु
भयवंत मरंतएण पिउणा। किंचि वि पुणु कायरेण रहिउ । तो ताउ महारउ सुहु लहइ । जा जाहि बप्प दक्खवहि वसु । तुह नत्थि एत्थ कोइ वि सरणु ।
५
२. १ निजरिउ रउ ।
२ जाइंभरु।
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