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सिौरचंदविरइयउ
[ २७. १०. ३तेण वि तेण विराएँ गंपिणु
भत्ति रिसि रिसिगुत्तु नवेप्पिणु । सुणिवि धम्मु दुग्गइकयवसणहँ
किउ परिहारु झत्ति दुव्वसणहँ । सावयधम्मसमउ सम्मत्तें
लइउ समुद्ददत्तवणिउत्तें । अवरु अयाणियफलहो अवग्गहु
अंगीकयउ भाविसुहसंगहु । तं सुणेवि मन्नाविवि आणिउ
बहिणिण दिनु दव्वु सम्माणिउ । एत्तहिँ लद्धलाहगंजोल्लिय
करिवि वणिज्जु सदेसहो चल्लिय । सत्थवाह ते तेहिं समाणउ
पुच्छिवि बहिणि पत्तसम्माणउ । उमउ जि चल्लिउ पयणियहरिसहिँ
आय समीवहीं कइवयदिवसहिँ। १० धत्ता–उक्कंठिय मणमंदिरही सत्थु मुएवि जाहिँ जामंतरि ।
भुल्लिवि विहिवसेण पहहो निवडिय भीसणे गुहिलवणंतरि ॥१०॥
पहपब्भट्ठहिँ तम्मि भमंतहिँ
पहसमभुक्खतिसासमसंतहिँ । दिठ्ठ तेहिँ किंपाउ रवन्नउ
मरणु व तरुरूवेणवइन्नउ । विसयसुहाइँ व पढमु सुसायइँ
परिणामम्मि महादुहदायइँ । सव्वहिँ चारु भणेवि सुयंध
तासु फलाइँ खाहुँ पारद्ध। पुच्छिउ कवणु एहु उमएँ तरु
सोहइ सउरिसो व्व वरफलधरु। ५ वुत्तु सहाएँ संसयसामें
तोडिज्जहिँ किं सहयर नामें। . कडुयउ नीरसु तं वज्जिज्जइ
जं मिट्ठउ सुयंधु तं खज्जइ । भणइ वणिंदपुत्तु अमुणिय फलु
असमि न भंजमि नियवउ निम्मलु । तेण रसेण सव्व घुम्माविय
हुय निच्चे? महीयलि पाविय । घत्ता-करहुँ परिक्ख वियक्खण जणमणहरु नियरूव करेप्पिणु। १० दूमियचित्तु मित्तमरणे भणिउ उमउ वणदेविण एप्पिणु ॥११॥
१२ किं न पहिय देवाहँ वि भोज्जइँ
एयइँ खाहि फलाइँ मणोज्जइँ । एहु रुक्खु अवियाणियनामउ
पुन्नहिँ पाविज्जइ अहिरामउ । आयहो फलइँ खाइ जो माणउ
वाहिविहीणु होइ सो अहिणउ । मरिवि कयावि न दुक्खु निरिक्खइ
नाणे सयरायरु वि परिक्खइ । एत्थु पासि सामरि वाहिल्ली
होती हउँ जरजिन्न गहिल्ली। ५ आयो फलरसेण सुच्छायउ
सुंदरु महु सरीरु संजायउ । एउ म जाणहि जं एए मय
उहिँ लग्गा होगवि अक्खय ।
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