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२७. १०. २ ] कहकोसु
[ २८६ घत्ता—मुयउ वि जीविउ तहिँ समण बुद्धसंघु तहे पुन्नपहावें ।
अवरु वि सत्थलोउ सयलु मुक्कउ विसवेयणसंतावें ।।७।।
पेक्खह दूरीकयसंतावें
मयउ वि' जीवइ पुन्नपहावें । एम भणेवि पसंसिय सव्वहिँ
पुज्जिय पणमिय सा गयगवहिं । हुउ आणंदु महंतु महीयलि
विहियपसंसहि देवहिँ नहयलि । हय दुंदुहि कुसुमोहनिमित्तउ
पडिउ सुअंधु सलिलु जणु सित्तउ । तं निएवि उज्झिउ मिच्छत्तउ
लोउ सयलु जिणधम्मि पसत्तउ । ५ केहिँ मि लइय दिवख त उ तत्तउ
पुत्तु कलत्तु वित्तु परिचत्तउ । अणु गुणसिक्खावयसंजुत्तउ
केहिँ मि सावयवउ संपत्तउ । बुद्धदासु सकलत्तु सपुत्तउ
हुउ सावउ भावियरयणत्तउ । घत्ता-पोमलयाग कहेवि कह भणिउ नाह हउँ एह निएप्पिणु । निच्चलमण जिणधर्म हुय संसयभाव सव्व मेल्लेप्पिणु ॥८॥ १०
कुंदलयाभणिदं सेसं वत्तव्यं ।
पुणु वणिना, ववगयकुच्छिय
कणयलया नामें पिय पुच्छिय । कहइ अवंतिदेसि उज्जेणिहे
वणिउ समुद्ददत्तु सुहजोणिहे । अत्थि तासु रामाप्र सरूयउ
सायरदत्तए पुत्तु पसूयउ। नामें उमउ भणिज्जइ कहउ
बहुवसणिउ धन्नंतरि जहउ । पुत्ति वि जिणयत्ता जिणयत्तहाँ
दिन्नी कोसंबिहे वणिउत्तहो । उमउ वि तहिँ परदव्वु हरंतउ
बहुवाराउ तलारहिँ पत्तउ । सेट्ठिह दक्खिन्नण विमुक्कउ
पुणरवि खलु अवराहो ढुक्कउ । हक्कारिवि नरवालनरिंदें
भणिउ वणीसरु णयणाणंदें । पुत्तु समुद्ददत्त तुह केरउ
पावयम्मु दुम्मइ विवरेरउ । चोरियाण बहुवारउ गहियउ
तुह दक्खित्ते नउ निग्गहियउ । १० संपइ जइ सक्कहि तो वारहि
मरणसमुद्दो प्रहु उत्तारहि । घत्ता-पहुयाएसु पडिच्छियउ गंपि गेहु दुव्वयणहिँ ताडिउ ।
जणणे जणणि बंधवहिँ कुलछारणु नयरहो निद्धाडिउ ॥९।।
१०
तावहिँ सत्थवाहसुयसहियउ तत्थ वि बहिणि पेच्छिवि भायरु ८. १ व।
गउ कोसंबिहे वज्जियसहियउ । वत्त सुणेप्पिणु किउ मंदायरु ।
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