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२७. ५. ३ ]
। कहकोसु
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छड्डिवि बुद्धधम्मु निच्छम्महो
लग्गा वे' वि निघवि जिणधम्महो । उसहदासु साहम्मियभत्तउ
करइ नेहु अवियाणियचित्तउ । एक्कहिँ दिणि जिणमंदिरि हिटिश
अच्छिवि अन्नोन्नु जि सुहगोट्ठिए। बुद्धदासु पोमावइनाहें
निउ घरु भोयणत्थु कयगाहें । किउ समग्गु गउरउ गरुयारउ.
वड्डिउ भोयणु पाणपियारउ । अरुइए लइउ व दिसउ पलोय इ
जाम न केम वि कवलुच्चायइ । ताम उसहदासेण भणिज्जइ
मित्त न किं कारणु जेमिज्जइ । भणइ धुत्तु जइ पुत्तु महारउ
परिणावहि नियसुय सुहयारउ । कवलगहणु तो करमि तुहारण
मंदिरि णयणाणंदजणेरण। घत्ता-एत्थु अजुत्तउ काइँ पइँ भणिउ उसहदासेण पवुत्तउ। .
धीयउ सुहि अम्हारियउ सावयाहँ देयाउ णिरुत्तउ ॥३॥ .
जं दिज्जइ तुह तं पर धन्नउ
भुंजहि करि पसाउ पडिवन्नउ । साहम्मिउ मणेवि अणुराएँ
सोहणदिणि सुहिसयणसहाएँ । दिन्नी सुय करेवि परमुच्छउ
किउ विवाहु रिद्धीग अतुच्छउ । हुउ सुहि बुद्धसंघु सहुँ ताएँ
अहवा नंदइ.को ण उवाएँ।। परिणेप्पिण पुणरवि हुय तारिस .. .. वेन्नि वि सुर पियंति गसियामिस । ५ वंदयधम्मसवणु अणुवासरु
करहिँ ताहे दूसंति जिणेसरु । हलि पोमसिरि परमकारुणियउ
बुद्धो ते पसु जेहिँ न सुणियउ । कमकमलाइँ तासु पुज्जंतहँ
सिज्झइ मग्गु मोक्खु झायंतहँ । तं न ताहे पडिहासइ चित्तहाँ
गउ कालें जणरु पंचत्तहो । घत्ता--अवसरु परियाणेवि पुणु कइवयदियहहे तेहिँ पउत्तउ । १० :
पोमलच्छि अम्हहँ तणउ णाणु मुणइ नीसेसु जयत्तउ ॥४॥... -
तेण मुणिउ जिणधम्म जायउ सुणिवि ताण अभंतरकोवए। निच्छउ अवरु एउ को बुज्झइ
तुह जणेरु वर्ण हरिणु वरायउ । भणिया खणियवाइ सविवेयर। तह वि हु जडु अम्हारिसु मुज्झइ ।
३. १ ते।
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