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२८४ ] सिरिचंदविरइयउ
[ २६. ११. ३निवडिय पुप्फविट्ठि प्रायासहो
गउ जणु णिरवसे सु परिप्रोसहो । पुज्जिउ पुरदेवी विसेसें
जयमंगलरवदुंदुहिघोसें। फलु पच्चक्खु णिएविणु धम्मो
चत्त णिवेण तत्ति निवकम्महो। ५ पुत्तु थवेवि रज्जि अणुराएँ
लइय जिणिददिवख ससहाएँ । अवरेहिँ मि केहिँ मि तउ लइयउ
केहिँ मि सावयवउ सगहिय उ । मझ वि विण्हुसिरीण पउत्तउ
तप्पहूइ सम्मत्तु निरुत्तउ । घत्ता-प्रायन्नेवि इउ धम्माणुरायसंजुत्ते ।
पुच्छिय णायसिरि नामेण कंत वणिउत्तें ॥११॥
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आहासइ सइ कासीदेसे,
वाराणसिपुरि लद्धविसेसे । निवहो जियारिहिं कंचणचित्तहे
मुंडिय नाम पुत्ति हुय कंतहे । अज्जए उसहसिरिए संबोहिय
सा मट्टिय खायंति निरोहिय । वयमाहप्पें रोयविवज्जिय
हुय रइ व्ब रूवें अपरज्जिय । णवजोव्वण णरवइहिँ असेसहिँ
मग्गिय असहियविरहकिलेसहिँ । ५ जणणु विसेस प्पिउ झंखावइ
ताहँ मज्झि एक्को वि न भावइ । प्रोडविसयरायें भवदत्ते
छोहानलजालोलिपलित्तें। . एप्पिणु वहुबलेण वेढिउ पुरु
बलिउ वइरि जियारि हुउ कायरु । कन्नारयणु सकप्पू अदेंतें
निसिहि सपरियणेण नासतें । चालिय दिल्लिदिलिय न चल्लइ
मेल्लेवि जाइ के म मणु सल्लइ । १० घत्ता--असमत्थेण रण पुच्छिउ पुरोहु पुहईसें ।
किं कीरइ कहिउ तेण वि तहो णाणविसेसें ।।१२।।
एयहि पाडिहेरु होएसइ सुणिवि एउ सा तहिँ जि मुएप्पिणु एत्तहे परबलु पबलु पइट्ठउ रायउत्ति भवदत्तहो तट्ठी वयमाहप्पें दहु वि रवन्नउ तत्थ सुहेण परिट्ठिय सुंदरि १२. १ कस्सीरदेसि ।
अच्छंतहो तुह संति न दीसइ । गउ रयणिहं नरिंदु नासेप्पिणु । हसियो पट्टणु लोउ पण?उ । गंगादहि गंतूण पइट्ठी ।। रयणुज्जोइउ घरु संपन्नउ । तहिँ पइसंतु संतु नृवकेसरि ।
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