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२६. ११. २ ]
कहकोसु
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एवमाइ मुणिवयणु सुणेप्पिणु
भणिउ अमच्चे पय पणवेप्पिणु । अज्ज पहूइ तुझ पयपंकय
सरणु मज्झ दूरुज्झियभवभय । भो भयवंत विवज्जियकम्में
करि पसाउ महु जिणवरधम्में । तं निसुणेवि मुणिदें दिन्नउ
सावयधम्मु तेण पडिवनउ । एत्तह केण वि जंतें कालें
रायहो कहिउ कट्टकरवालें। सामिय सोमसिरी अोलग्गइ
मूढउ सावयधम्मे वग्गइ। निप्पहरणु पहुकज्जु न सारइ
संकडि केम विवक्खु वियारइ । तेण देव सो होइ न भत्तउ
थिउ पहु अवधारिवि अवचित्तउ । अन्नहिँ वासरि नयणाणंदें
चालिवि लोहकहाउ नरिंदें। नियनित्तिस लएवि पलोइउ
नं सहमंडबु विज्जुज्जोइउ । सयलसहाय पसंसिउ सारउ
अवरु ण एवंविहगुणधारउ । घत्ता-परिवाडी पुणु सव्वाण वि' लेवि किवाणइँ ।
पुहईसेण सइँ दिट्टइँ जमजीहसमाणइँ ॥९॥
पच्छा मग्गि उ मंति विसारउ
जोयहुँ केरिसु खग्गु तुहारउ । तेण वि जाणिउ जाणिवि अप्पउ
धीरे सुमरेविण परमप्पउ । कणयमुट्ठि कट्ठमउ सकोसउ
अप्पिउ मंडलग्गु हयहिंसउ । कड्डइ जा सरोसु पुहईसरु
ता हुउ सूरहासु भाभासुरु । तो तेएण दिट्टि हय लोयहो
संमुहुँ नियइ कुसूरुज्जोयहाँ । ५ पिसुणहँ वयणु पलोइवि राएँ
भासिउ कि न निएहु कसाएँ। तुम्हइँ कहिउ मज्झ हियभावें
सोमसिरी तुम्हइँ असभावें। ओलग्गा असिणा कट्ठमएँ
ता पहु भणिउ मुणियजिणसमएँ । घत्ता-एयहिँ सच्चु तुह उवइठ्ठ खमहु पुहईसर ।
लोहसत्थधरणे खणु अस्थि मज्झ परमेसर ॥१०॥ १०
पुन्नपहावें संदरिसियजसु सुणिवि एउ सव्वेहिँ पसंसिउ ६. १ सव्वणेवि।
कट्ठमनो वि हूउ असि एरिसु । देवहिं साहुकारु नहि घोसिउ ।
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