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२६. ७.२ ]
कहको
घत्ता - महुवनमहहो फलु श्रम्हहँ एउ भणता । सहँ राएण दिय परिप्रोसें तहिँ संपत्ता ||४||
लेंति जाम किर परमुज्जालइँ ता नउलेण दिएण पउत्तउ
जं जसु तण तासु तं प्रावइ एउ न बहुसुवन्नजन्नहो फलु तेणेयइँ उज्जोइयगयण इँ विस्सभूइ तं निसुणिवि राएँ भणिउ अन्नदाणु गरुयारउ फलु भिक्खद्धहो सोक्खजणेर उ ता तं तेण मणा वि न मन्निउ विणु हिँ न किज्जइ
घत्ता - अंतरु सुरगिरि अन्न अन्न
जेण वाहि वाहिल्लो छिज्जइ afras सुहुँ दुक्खु नियत्तइ झाणज्झयहिँ पत्तु निरंतरु कम्मक्खउ करेवि निव्वाणहो सहदाणु तेण गरुयारउ वारमइहे वसुवह पुत्तें मणि परिवड्डियधम्माणंदें सहदाणु मुणिदहो दिन्नउ
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जीवदयासमु हुयउ न होसइ इतिहु सरायरु दिज्जइ
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ताम ताइँ जायइँ इंगालइँ । परिवज्जह किज्जइ नाजुत्तउ । इयरहो पर दरिसाबइ प्रावइ । यह भिक्खादा हो निम्मलु । संजायइँ विवरीयइँ रयणइँ । पत्तदाणफलु हुयप्रणुराएँ । बहुदोगच्चदुक्खखयगारउ । दे महुँ लइ जन्नद्धहो केरउ । तेणाहारदाणु पर वन्निउ । जीवहो जीवियत्थु छुह छिज्जइ । सिद्धत्थहो भासिउ जेत्तिउ । वि कणयाइयदाणहँ तेत्तिउ ||५||
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घत्ता --- पुज्जिउ सुरवरहिँ सुविहूइ सो सब्भावें । होसइ तित्थयरु तिहुयणगुरु सो सब्भावें ||६॥
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तं फुड सहदा भणिज्जइ । नियधम्माट्ठाणे पवत्तइ | खवइ कम्मु रइयासवसंवरु | वच्चइ सासय सोक्खनिहाणहो । देवउ दायारें सुहयारउ । असमविसमविक्कमसंजुत्तें
कुसलत्तणु करेवि गोविंदें । दूसह वाहिवियंभणु छिन्नउ ।
दाणु चउग्गइदुक्खु विणासइ । तो विन अभयपदाणहो पुज्जइ ।
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