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________________ २७६ ] चितिवि भीसणु कालनिहु कुसुमाणब्भंतरि रइय छल हक्कारिय भुजहुँ पावरया गंतूण समप्पिउ पुप्फघडु घेत्तूण तम्मि कुसुमाइँ तए पुत्रेण पुणु वि कट्ठेतियहे विभिय कुट्टणि किंघित्तु नउ वरकव्वु व उप्पाइयहरिसु तंबोलविलेवणभूसहि घरु जंतहँ ताणाणंदभरे १८ जंभेट्टिया - फेडमि मूलहो वाहि महंतिया | जेणग्ग अहं होमि न त्तिया ।। Jain Education International सिरिचंदबिरइयउ फणिदट्ठ निएप्पिणु पुत्तडिया कलसम्म छुहेवि लेवि उरउ हा धावह लोहो मज्झ सुया रोवंति एउ पभणंति तहि हु पेक्ख पेक्खु तुह किंकरिहे प्रायन्निवि कारणु कुविउ पहु पुच्छिय किं जणमणनयणपिया सोमा उत्तु न महु तणउ सुम्म ग्रामंतिय एह घरु लइ पुज्जहि देउ भणेवि महु [ २५. १८. १ दोजी विसमगरलग्गिसिहु कलसम्म छुहेवि लएवि खल । सहुँ दुहि दुहिपवरेण गया । ग्रामोयवसीकयनासउडु | पुज्जियउ देउ कयसागयए । हुउ सप्पु वि मणहर माल तहे । किं नीसरेवि हि कहिमि गउ । भुजेपण भोय विविहरसु । पाविय सम्मानहँ निवसहि । सोमा एवि सवत्तिकरे । घत्ता- - इमणोज्ज मन्नप्पिणु जा दइवें रइय । दिन्ना सेस भणेपिणु सा मालोरइय ॥ १८ ॥ १९ --- जंभेट्टिया - छडु दिन्ना तो होएवि दट्ठिया । सा फणिणा खला हुय निच्चेट्टिया || निच्चेयण पुहईयलि पडिया | कूवारउ वसुमित्ता कउ । मारिय सोमा गुणो हजुया गय तय एप्पिणु राउ जहिं । हुय केहावत्थ सुहंकरिहे । कोक्काaिय लहु सिवदत्तवहु । पइँ पावे णिसुंभिय एह तिया । इउ कम्मु नराहिव निग्धिणउ । ससुया महारउ देवहरु । अप्पियउ कलसु कुसुमेहिँ सहु । घत्ता -- तहिँ फुल्लाइँ लएप्पिणु मइँ परमेसर हो । रइय पुज्ज पुहईसर देवजिणेसरहो ॥ १९॥ For Private & Personal Use Only 1 ५ १० ५ १० www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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