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२५. १७. १६ ]
किं गोत्तें सासय सुहकरणु निसुणेवि एउ पोमाइयउ किं निरवहि लोयत्तयमहिउ सावहितेत्त वणिपवरा दुल्लहु सो किज्जइ जाम वउ फलु हो जं धम्मोवचउ वणि कहइ प्रत्थि बंभणदुहिया नहोस का वि दिन्न नउ लइ परिणहि सुंदर हंसगई
१६. १ वउ ।
परिणेवि पहाणं पवंचपरु जापि जूयारिय भणिया प्रायन्निवि तेहिँ पसंस किया नामेण पसिद्धा कामलया सहियउ त पुव्वकमेण भणु एत्त सोमा बि पसन्नमई निसुणेवि विलक्खी होवि थिया जं वणिणा दिन्नु विवाहि धणु पहिँ पट्ठ किउ उज्जमणु सिवदत्तु वि लोड असेसु जिह आमंतिउ ताप सलक्खणए
निरुव रू निहालियउ
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कहको सु
घत्ता - नीसरेवि घरवासहो कह व करेवि खणु । पुणु संसारे पइसइ जाणमाणु कवणु ॥ १६ ॥
धम्मुजि महु मायवप्पु सरणु । पुणु वणिणा पुच्छिउ माइयउ । किं सावहि बंभचेरु गहिउ । ग्रह एण काइँ किज्जइ जि परा । पालिउ किर दीसइ काइँ नउ' । को जाणइ कइयहँ [ देइ वउ । सुंदर ] छणयंदरुंदमुहिया । सावयहो भणेष्पिणु देमि तउ । वणवण सुवि धुत्तु चवई ।
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जंभेट्टिया - नेच्छं तो वि बला तेणेच्छाविउ । सो सोहणदिणे सुय परिणाविउ ॥
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गउ टेंटहे कंकणबद्धकरु । पूरिय पइज्ज मइँ अप्पणिया । तेत्थु जि पुव्विल्लिय तासु पिया । सुमित कुट्टणी तणया । प्रच्छइ बहुविसयासत्तमणु । पाविट्ठो तारिस तासु गई । किं किज्जइ दइवायत्त किया । काराविता देवभवणु । सम्माणिउ संघ सपउरजणु । des कुट्टणि समेउ तिह । नीलुप्पलदलसरिसेक्खणए । वसुमित्त सिरु संचालियउ ।
घत्ता - केव विकज्जें परिहरिय एणेह सुहंकरि । कह व पमाइँ जइ वलइ तो कहिँ अम्हीँ सिरि ॥ १७ ॥
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