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________________ २७४ ] सिरिचंदविरइयउ [ २३. १४. ३एत्थत्थि अणेय वि वेयजुया बंभण बंभोवम दोसच्या। तेहिँ मि न लद्ध रइरंभसमा मिच्छादिट्टियहि भणेवि इमा। तुहुँ पुणु बहुवसणासत्तमई दूरुज्झिय विप्पायारगई। ५ किह लहसि मूढ मिच्छत्तरउ भासइ विडु अहिमाणेण तउ । मइँ तेम करेवउ जेम एह परिणेवी कुवलयसामदेह । जइ एउ न करमि महुं तणउ किं किज्जइ तो धुत्तत्तणउ । पूरमि पइज्ज जइ कह व नउ साहमि सिहि तो तुम्हहँ पुरउ । इय भणिवि सव्वकिरियाकुसलु.. गउ अवरु देसु बहुबुद्धिबलु । १० होएप्पिणु बंभयारि गुणिहे सामिवि तत्थ कासु वि मुणिहे । . आयउ आवेप्पिणु दुरियहरे थिउ उसहदाससव्वण्हुघरे । घत्ता-तहो आगमणु सुणेप्पिणु गउ जिणहरु वणिउ । ... इच्छायारु करेप्पिणु बंभयारि भणिउ ।।१४।। जंभेट्टिया--केत्तहि होतया तुम्ह समागया। __ कहइ पवंचिउ पुवदिसागया । भो वणिवर जिणवरजभ्मणइं निक्खवणइँ तिहुयणकम्मणइं । नाणइँ निव्वाणइँ सव्वई वि अइसयतित्थाइँ वि अवरई वि । वंदेप्पिणु संति कुंथु अरहं पेक्खहुँ पयाइँ भवभयहरहं । ५ एत्थाउ सुणेवि सच्छमइणा पुच्छिउ पुव्वासमु वणिवइणा । भासइ सो एत्थु जि नयरि वरु : बंभणिहि सोमसम्माह वर । दिउ सोमसम्म नामें पयडु होतउ सुइसत्थपुराणपडु । तहो रुद्ददत्तु हउँ पुत्तु हुउ जणणीजणरपयभत्तिजउ । मरणेण ताण सोयहो भरिउ तित्थाइँ निहालउँ नीसरिउ । १० मिच्छत्तभावभूएँ दमिउ वाराणसि पाइयाइँ भमिउ । घत्ता-पुन्नवसेण महामुणि एक्कु पलोइयउ । तेणुवसामिवि सासणे जइणि निग्रोइयउ ।।१५।। जंभेट्टिया-तासु समीवए दूरुज्झवि अहं । सावउ जायउ बंभवई अहं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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