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सिरिचंदविरइयउ
[ २३. १४. ३एत्थत्थि अणेय वि वेयजुया
बंभण बंभोवम दोसच्या। तेहिँ मि न लद्ध रइरंभसमा
मिच्छादिट्टियहि भणेवि इमा। तुहुँ पुणु बहुवसणासत्तमई
दूरुज्झिय विप्पायारगई। ५ किह लहसि मूढ मिच्छत्तरउ
भासइ विडु अहिमाणेण तउ । मइँ तेम करेवउ जेम एह
परिणेवी कुवलयसामदेह । जइ एउ न करमि महुं तणउ
किं किज्जइ तो धुत्तत्तणउ । पूरमि पइज्ज जइ कह व नउ
साहमि सिहि तो तुम्हहँ पुरउ । इय भणिवि सव्वकिरियाकुसलु.. गउ अवरु देसु बहुबुद्धिबलु । १० होएप्पिणु बंभयारि गुणिहे
सामिवि तत्थ कासु वि मुणिहे । . आयउ आवेप्पिणु दुरियहरे
थिउ उसहदाससव्वण्हुघरे । घत्ता-तहो आगमणु सुणेप्पिणु गउ जिणहरु वणिउ । ... इच्छायारु करेप्पिणु बंभयारि भणिउ ।।१४।।
जंभेट्टिया--केत्तहि होतया तुम्ह समागया।
__ कहइ पवंचिउ पुवदिसागया । भो वणिवर जिणवरजभ्मणइं
निक्खवणइँ तिहुयणकम्मणइं । नाणइँ निव्वाणइँ सव्वई वि
अइसयतित्थाइँ वि अवरई वि । वंदेप्पिणु संति कुंथु अरहं
पेक्खहुँ पयाइँ भवभयहरहं । ५ एत्थाउ सुणेवि सच्छमइणा
पुच्छिउ पुव्वासमु वणिवइणा । भासइ सो एत्थु जि नयरि वरु : बंभणिहि सोमसम्माह वर । दिउ सोमसम्म नामें पयडु
होतउ सुइसत्थपुराणपडु । तहो रुद्ददत्तु हउँ पुत्तु हुउ
जणणीजणरपयभत्तिजउ । मरणेण ताण सोयहो भरिउ
तित्थाइँ निहालउँ नीसरिउ । १० मिच्छत्तभावभूएँ दमिउ
वाराणसि पाइयाइँ भमिउ । घत्ता-पुन्नवसेण महामुणि एक्कु पलोइयउ ।
तेणुवसामिवि सासणे जइणि निग्रोइयउ ।।१५।।
जंभेट्टिया-तासु समीवए दूरुज्झवि अहं ।
सावउ जायउ बंभवई अहं ।
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