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२५. १४. २ ] कहकोसु
[ २७३ भो परममित्त दुनयविलय
साहम्मियवच्छल गुणनिलय । निव्वाहिउ एत्तिउ कालु पई
न वियाणिउ किं पि वि दुक्खु मइं। एवहिँ महु संपत्तउ मरणु
परमेट्ठिपायपंकयसरणु । सुहि एउ करेज्जसु एह सुया
सोमा महु तणिय गुणोहजुया । जाणेप्पिणु कासु वि बंभणहो
देज्जसु मिच्छत्तनिसुंभणहो । इय भणिवि समप्पिय पुत्ति तिणा
किउ सव्वचाउ सुंदरमइणा । मरिऊण समाहिए धीरमणु
गउ सग्गहो मेलेवि कुणिमतणु । सोमा वि तो वणिनाहघरे
अच्छइ सुहेण हंसी व सरे। १० तो नेहु निएप्पिणु घणघणउ
वीसरिउ सोउ तायो तणउ । न वियाणइ जं मुउ महु जणणु
एहु जि सो निच्छउ महु जणणु । घत्ता-धुत्तहँ धुत्तु जुवाणउ विविहवसणवसइ ।
तेत्थु जि बंभणु नामें रुद्दयत्तु वसइ ।।१२।।
जंभेट्टिया--एक्कहिँ वासरि रूवरवन्निया ।
नं जगविंधणा कामहो कन्निया ।।
पायालकन्न नं लद्धजसा जोइवि जूयारसहाहिवेण कहो तणिय एह कलहंसगई भासिउ जूयारहिँ रूवनिही एसा कुमारि वेल्लहलभुया जणणेण मरतें वणिवरहो तो गेहि एह जणमणहो पिया निसुणेप्पिणु रुद्ददत्तु चवई
मग्गेण जंति सा कज्जवसा । बोल्लिउ विडेण बिंभियमणेण । कि नायकन्न पच्चक्खरई। जणमणसंधुक्किय कामसिही। सुहि सोमयत्तदियवरहीं सुया। नियसुहहि समप्पिय सुहयरहो । नावइ रयणायरे वसइ सिया । हउँ परिणमि एह गयंदगई।
१०
घत्ता-तेहिँ भणिउ कुव्वडयहाँ अत्थि सई गरुय ।
परउत्ताणहो सुयउँ न जाइ हवेइ रुय ।।१३।।
१४
जंभेट्टिया--काइँ अजुत्तयं भणहि सयाणउ ।
आयहिँ वयणहि होहि अयाणउ ।।
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