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________________ २५. २१. १३ ] कहकोछ [ २७७. २० जंभेट्टिया-भुत्ताणंतरिए कामालिया । जंतिह नियघरं चलभसलालिया । इहु कामलयाहँ सुहावणिया प्रासीस दिन्न देवहां तणिया । दिन्नाश ताप एयाए किउ कुवारउ कोवो लोउ निउ । हा महु सुय सोमा कामलया खावेविण सप्पो पासु हया । ५ जाणइ फूह ईस एह अवरु जिणधम्म सुणेवि अहिंसवरु । सावयकुलि एरिसु कम्मु नउ कज्ज अम्हारण पावजुउ । वसुमित्त ता कलसम्मि करु घल्लिवि लहु कड्डिउ पवणचरु । दक्खालिउ सामिय एण सुया खद्धा विसमेण विसेण मूया । सोमा सो ज्जि हत्थि गहिउ हुउ पुप्फदामु परिमलसहिउ । १० वसुमित्त लइउ हूउ विसमु विसहरु कयंतकलिकालसमु । सोमाइ लइउ हुउ माल पुणु तं पेच्छिवि विभिउ सयलु जणु । घत्ता-एहु जि दिव्वु निरुत्तउ मइँ न कयावि किउ । जइ अजुत्तु ता आयो आवउ गयउ जिउ ।।२०।। जंभेट्रिया-भणिऊण इणं । परसिय तिरा सा उट्ठिय झडत्ति ता तं निएवि किउ पइँ किमेउ दुहियह सवत्ति आणिउ सदप्पु तेण वि न खद्ध पावियधरित्ति जं विहिउ पाउ एत्थंतरम्मि सोमहे पसंस दुंदुहिनिनाउ णविऊण जिणं । जाया निविसा ॥ बहु सुत्तिय हउँ एहउ भणंति । पुच्छिय निवेण सा सवह देवि । भासिउ वसुमित्त सुणउ देउ । ५ मणिऊण निसंभहुँ चारुगत्ति । मइँ घडहिँ छुहेप्पिणु कालसप्पु । उव्वरिय एह पुन्नेण मुद्ध । पच्चेल्लिउ मज्झ जि डसिय पुत्ति। तं एत्थु जि पहु पच्चक्ख जाउ। १० महियलि नरेहिं देवहिं नहम्मि । किय तुहुँ निद्दोस विसुद्धवंस । हुउ वूहउ सीयलु सुरहि वाउ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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