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अवियारवत्तु सिरनिहियहृत्यु पुव्वज्जिएण
भासंति जोइ
संवेयजुत्त
अच्छा रिसी
वित्तंतुकहिउ एत्त हे चरे हिँ
आरुट्ठ राउ
समग्र देउ हरहुँ विधु सुहँ विपयंडु
सावलेव तं तणु व गणेविणु ताम लट्ठि भावि भयंकर केण वि रायहो वत्त पणारिय कोइ महाभडु घरि वणिकेर जमदूएण व भामियदंडें श्रान्नेवि नरिंदु पलित्तउ जें भडयणु कयंतपुरु पाविउ एम भणेपिणु परवलसाहणु जे जे पइसहिँ ते ते वारइ ताम जाम बलु सयलु विनिट्टिउ
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सिरिचंदविरइयउ
घत्ता -- किंकर णरवइहे पइसंत तेण अणिवारिय । नाइँ मुणीसरेण मणदुष्परिणाम निवारिय ॥११॥
रे रे दुट्ठ राय कहिँ नासहि चितइ जो वणिवइहि विरूवउ
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[ २४. ११. ३
कुसुमालु णिएप्पिणु पाणचत्तु । भवदुक्खलक्खना सणसमत्थु । फुडु लधु समाहिल मरणु तेण । ५
अन्न हो वत्थ एरिस न होइ । इय चितिवि जत्थ समाहिगुत्तु ।
गउ तत्थ सेट्ठि पणमियससीसु । उववासु समाहिनिमित्तु गहिउ । उवइद्धु सव्वु संगयकरेहिँ पेसिउ घरु ल्हसहुँ नरनिहाउ । आसणकंपेण सुणेवि भेउ । नरवेसु करेष्पिणु पत्तु सिग्घु । थिउ घरदुवारि करकलियदंडु |
घत्ता -- वेसु निसाय रहो नासंतहो तुरिउ तहो
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किरपइति जाम चप्पेविणु । मायइँ मारिय नरवइकिंकर ।
पहु पाइक्क तुहारा मारिय । अच्छ विग्घु व सिद्धिदुवार । तेणाय पाइक पयंडें । चित्तभाणु तुप्पेण व सित्तउ ।
हँ महुँ जाइ ज्जु सो पाविउ । सइँ सन्नज्झिवि प्राउ ससाहणु । दंड पहारें सुरु संघारइ । नरवइ पर एक्कंगु परिट्ठिउ । भीयरु करेवि रोसाविय । पुट्ठिहे अमरु पधाविउ ॥ १२ ॥
निच्छउ अज्जु जमाणणि पइसहि । तासु हयासहो हउँ जमदूवर ।
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