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________________ २४. ११. २ ] कहकोसु यत्ता-धूमहो भरिय घड ढंकिवि थविय चउकोणहिँ । संजयपवर भड पच्छन्न सफरहिँ किवाणहिँ ॥८॥ [ २६३ १० तामायउ कयलोयाणिट्ठउ भोयणमंदिरमझ पइट्ठउ ।। अक्ककलियफुट्टणसदें खलु जाणिउ किउ दुवारगढ अग्गलु । मुक्कु धूभु नयणेसु पइट्ठउ प्रागय अंसुय अंजणु नट्ठउ । ता तहिँ भडहिँ निएवि निबद्धउ रायाएसें सूलिहे छुद्धउ । जेण समेउ एहु जपेसइ तासु पासि जणदव्यु हवेसइ । ५ एम भणेवि चउद्दिसु रक्खण दिन्न निवेण अलवख वियक्खण।। एत्थंतरि जिणयत्तु वणीसरु सुप्पहार पुज्जेवि जिणेसरु । साहुसमीवि धम्मु निमुणेप्पिणु रुप्पखुरेणावंतु निएप्पिणु । घत्ता--बोल्लाविउ अहो वणिवइ महु एत्तिउ किज्जउ । सव्वुवयारि तुहुँ तिसियही जलु आणिवि दिज्जउ ॥९॥ १० १० जिणयत्तेण जि एउ सुणे प्पिण चोरु गलागयपाणु निएप्पिणु । वृत्तुवयारहेउ सविसेसहिँ भो रुप्पखुर वारहवरिसहिँ । अज्ज मज्झ गुरुदेउ पसन्नउ तेण मंतु पावारि विइन्नउ । सुंदरु चितियसुहसयदायउ तं घोसंतु एत्थु हउँ पायउ । जलनिमित्तु जंतहो वेइं घरु सो वीसरिवि जाइ महु मणहरु। ५ लइ तं तुहुँ सुमरंतउ अच्छहि जइ पडिप्रायही दुलहु पयच्छहि । तो हउँ जामि देमि आणमि जलु पभणइ थेणु पिपासइँ आउलु । दे दे मित्त मंतु म चिरावहि नउ वीसरमि जाहि लहु प्रावहि । ता वणि तासु थिरत्तु करेप्पिणु गउ घरु पंच पयाइँ कहे प्पिणु । घत्ता--चोरु वि ताम तहिँ सुरमेल्लियसुमणसविट्टिहुँ । नवयारक्खरइँ मुउ संभरंतु परमेट्टिहुँ ।। १०॥ सोहम्मसग्गि वणि ताम पत्तु हुउ सुरवइ सुहसंपयसमग्गि। सीयलजलभरिउ लएवि पत्तु । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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