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२४. ११. २ ]
कहकोसु यत्ता-धूमहो भरिय घड ढंकिवि थविय चउकोणहिँ ।
संजयपवर भड पच्छन्न सफरहिँ किवाणहिँ ॥८॥
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तामायउ कयलोयाणिट्ठउ
भोयणमंदिरमझ पइट्ठउ ।। अक्ककलियफुट्टणसदें खलु
जाणिउ किउ दुवारगढ अग्गलु । मुक्कु धूभु नयणेसु पइट्ठउ
प्रागय अंसुय अंजणु नट्ठउ । ता तहिँ भडहिँ निएवि निबद्धउ
रायाएसें सूलिहे छुद्धउ । जेण समेउ एहु जपेसइ
तासु पासि जणदव्यु हवेसइ । ५ एम भणेवि चउद्दिसु रक्खण
दिन्न निवेण अलवख वियक्खण।। एत्थंतरि जिणयत्तु वणीसरु
सुप्पहार पुज्जेवि जिणेसरु । साहुसमीवि धम्मु निमुणेप्पिणु
रुप्पखुरेणावंतु निएप्पिणु । घत्ता--बोल्लाविउ अहो वणिवइ महु एत्तिउ किज्जउ ।
सव्वुवयारि तुहुँ तिसियही जलु आणिवि दिज्जउ ॥९॥ १०
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जिणयत्तेण जि एउ सुणे प्पिण
चोरु गलागयपाणु निएप्पिणु । वृत्तुवयारहेउ सविसेसहिँ
भो रुप्पखुर वारहवरिसहिँ । अज्ज मज्झ गुरुदेउ पसन्नउ
तेण मंतु पावारि विइन्नउ । सुंदरु चितियसुहसयदायउ
तं घोसंतु एत्थु हउँ पायउ । जलनिमित्तु जंतहो वेइं घरु
सो वीसरिवि जाइ महु मणहरु। ५ लइ तं तुहुँ सुमरंतउ अच्छहि
जइ पडिप्रायही दुलहु पयच्छहि । तो हउँ जामि देमि आणमि जलु
पभणइ थेणु पिपासइँ आउलु । दे दे मित्त मंतु म चिरावहि
नउ वीसरमि जाहि लहु प्रावहि । ता वणि तासु थिरत्तु करेप्पिणु
गउ घरु पंच पयाइँ कहे प्पिणु । घत्ता--चोरु वि ताम तहिँ सुरमेल्लियसुमणसविट्टिहुँ ।
नवयारक्खरइँ मुउ संभरंतु परमेट्टिहुँ ।। १०॥
सोहम्मसग्गि वणि ताम पत्तु
हुउ सुरवइ सुहसंपयसमग्गि। सीयलजलभरिउ लएवि पत्तु ।
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