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२६० ] सिरिचंदविरइयउ
[ २४. २. ३. - आवासिउ सुहदिणं बहियत्तिहे
पुणु कज्जेणागउ घरु रत्तिहे । पइसंतें पगुरणउ जणेरिहे
आलोएवि मूलि वायारिहे । तं दक्खालिवि सुंदरवत्तहँ
पाणपियहँ तेणग्गए कंतहं । ५ मूलविणट्ठा वल्ली जं जाणह तं करेह सुण्हाउ ।
, अंबाए पंगुरणं दिटुं एरंडमूलम्मि ॥ एउ सुणंतु नाह हउँ अच्छिउ . चाहिउ चोरु न कहिँमि नियच्छिउ । प्रायन्नेवि राउ आरुट्ठउ ..
भणइ हयासु सहावें दुट्ठउ । छ द्दिण एवमेव पइँ पाविय
अलियकहाणएहि वोलाविय । अज्जावहि दिणु दावहि तक्करु
नं तो करमि दास सयसक्करु । __घत्ता-तेण सुणेवि इउ जाणिवि पहु ढुक्कु नियाणहो ।
घित्तइँ ताइँ लहु आणेवि मज्झि अत्थाणहो ।।२।।
दिठ्ठ चोरु सयलहँ वि पयासिउ
जमपासेण पुणो इउ भासिउ। जत्थ राया सयं चोरो समच्चो सपुरोहिदो ।
वणं तच्चाहु सव्वे वि जादं सरणदो भयं ।। मणिमयपाउयाउ पुहईसहो
नहरुत्तिउ निएवि मंतीसहो । जन्नोवइउ पुरोहह केरउ
लोयो चित्तु जाउ विवरेरउ । ५ सुयणु सुलक्खणु सुइ उवयारउ
अज्जु अकज्जु एहु खलियारउ । कल्लइ अम्हहँ संतावेसइ
निव्विवेउ महिवइ मारेसइ । एम भणेप्पिणु विविहवियारें
पेल्लिउ पुहईवइ परिवारें। सपुरोहिउ समंति नीसारिउ
पुणु जुवराउ रज्जि वइसारिउ । मंतिपुत्तु मंतित्तणि थवियउ
अवरु वि रज्जकज्जु परिठवियउ। १० कियउ पुरोहु पुरोहियजायउ
सयलु वि लोउ निराउलु जायउ। .. घत्ता-एउ मुणेवि पहु मज्जायाभंगु न किज्जइ ।
__ भग्गइँ ताइँ फुडु तारिस अवत्थ पाविज्जइ ।।३।।
प्रायन्नेवि एउ अणुराएँ भासिउ जइ वणगमण न जुज्जइ.
मंति पसंसिउ माहुरराएँ। तो लइ नयरमझ जाइज्जइ।
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