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पुणु वि सहाभवणि भडु सुमइ तलारपहाणउ । अक्खइ सामियहो चोत्थए दिणि अवरु ग्रहाणउ ॥
तद् यथा— सव्व विसं जहिं सलिलं सव्वारन्नं च कूडसंछन्नं । राया य सयं वाहो तत्थ मयाणं कुदो वासो ॥
पंचमि वासरि अवरु कहाणउ पाडलउरि वसुपालणरे सरु नासत्यपुराणवियाणउ तेण कयाइ कइत्तहो मच्छरु बंध गंगा लाविउ भणि एवहिँ भो किंचि सुहासिउ
सुणिवि एउ णरवइ परिप्रोसिउ छ दिणि पुणु कहइ सयाणउ एक्कहिँ वासरि अवसरि नवियउ
संधि २४
रामहो मरूहो श्रयसंघहो वयणु सुणेवि एउ तहो केरउ
तद् यथा— जेण बीया परोति जेण सिप्पंति पादवा | तस्स मज्झिमरिस्सामि जादं सरणदो भयं ॥
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तद् यथा-प्रारामरक्खया मक्कड़ा सुरारक्खया मूलविणट्टु एउ तेणुत्तउ
उज्जेणीपुरम्मि जसभद्दउ नियमायरिहि समप्पिवि भज्जउ
घत्ता - सत्तमदियहे पुणु
कहइ वीरु प्रयन्नइ राणउ । तहो चित्तकइ णामु मंतीसरु | सिग्घकइत्ति भणेवि पहाणउ । दावि कुविउ पुहइपरमेसरु | सलिल वहंतु संतु बोल्लाविउ । वुडु तेण वि तेणाहासिउ ।
सामंत मंतिसंघायहो । मज्भि नवेवि पय जमपासु पयासइ रायहो ॥ १ ॥
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कड्डि जलहो मंति संतोसिउ । पहु सुभदु कुमुमउरि पहाणउ । अहियारियनरेण विन्नवियउ । रक्खण के किज्जहि पहु संघहो । भणिउ नराहिवेण विवरेउ । सोंडा रक्खया वया । कज्जु वियाहि देव निरुत्तउ ।
नामें सत्थबाहु जसभद्दउ । चलिउ वणिज्जउ सत्थ सहेज्जउ ।
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