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२४४ ] सिरिचंदविरइयउ
[ २२. १०. ३तो वि न कहइ कोवसिहि वढिउ लेवि तेण पंगुरणु नियड्ढिउ । ता रुट्ठाण ताण अच्छोडिय
घल्लिवि पडिम महीयलि फोडिय । बोल्लिउ सीसु तुझ लेवावमि
रे हयास तिलु तिलु कप्पावमि । ५ पुरिसव्वउ महएवि वउत्थी
अच्छइ पहु णियंति अविसत्थी। पायहे पडिमहे पुज्ज करेप्पिणु
[भोयणु भुंजइ पुणु जग्गेप्पिणु] पभणइ वारवालु भयभीयउ
हउँ तुह किंकरु माइ विणीयउ । भुल्लउ मा जाणावहि रायहाँ
एक्क वार खम करहि अणायो । क बहुणा जइवि हु णरु सच्चउ
आणहि तो वि न वारमि सच्चउ । १० घत्ता-ता ईसि हसेप्पिणु धुत्तियण भणिउ म करहि भउ ।
वज्जरमि न रायो चिरु जीवहि सुहु संभवउ ॥१०॥
११
दुवई-एण कमेण सत्तवारेसु वि सत्त वि दारवालया।
करिवि पवंचु ताण साहिय किय नियप्राणाणुपालया । सव्वत्थ वि सव्व करेवि सुद्धि
अट्ठमदियहम्मि विसुद्धबुद्धि । पिउवणि वणिंदु समसत्तुमित्तु
उववासिउ झाणनिलीणचित्तु । धीरिमण सुरिंदायलसमाणु
निसि पडिमाजोएं अच्छमाणु । ५ उच्चाइवि आणिउ समसहाउ
नावइ अप्पाणहो देसचाउ । नं रोसुत्थाणु नराहिवासु
अप्पिउ महएविहे नं विणासु । पल्लंकि चडाविउ मुद्धियाण
किउ सयलु नयणवावारु ताण। पर तो वि न तहो मणि खोहु जाउ थिउ निच्चलु नावइ कट्टकाउ । किं अच्छहि इच्छहि सुहय अज्ज
लइ होहि सामि अणुहुंजि रज्जु। १० जइ हउँ पिय तुहुँ पइ एहु भोउ
भणु तो किं किज्जइ देवलोउ । दय करहि होहि महु साणुराउ
मारमि पच्छन्नु विसेण राउ । दारइ दूसह मयणासिधार
पण लग्गा अणुणइ वार वार । घत्ता-चुंबिउ बहुभेयहिँ प्रालिंगिउ दरमलिउ ।
थिउ मेरु व घीरहो तो वि मणा वि न मणु चलिउ ।।११॥ १५
१२
दुवई-पुणु पारधु दंदु जइ नेच्छहि तो सकुडुबु कल्लए।
घल्लावमि हयास पइँ सूलए जणियजणोहसल्लए ।
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