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२२. १०. २ ] ,
कहकोसु
[ २४३ भासइ महएवि सुणेवि एउ
हउँ कविलि रमावमि कामएउ । हलि अवरहो केरउ गहणु कासु
जइ रममि न भंजमि सीलु तासु । . तो जावज्जीविउ बंभचेरु
निच्छउ सहु कामें करमि वेरु। ५ इय लेवि पइज्ज वणाउ एवि
हुय कामगहें विवरीय देवि । हक्कारिवि पंडिय धाइ ताण
वुत्तिय मयणाहयमाणसाए । तुहुँ धरणि व वेल्लिहे माय मझु मणु पई समेउ किर कवणु गुज्झु । महु एहावत्थ सुदंसणेण
विणु वट्टइ दुल्लहफंसणेण । जिम जाणहि तेमाणहि झडत्ति
महु पाण जमालउ जा न जंति । १० धाईश भणिय कलयंठसद्दि
किं भणिउ अजुत्तउ एउ भद्दि । अन्नु वि सो सावउ सुद्धवित्तु
परयारि न करइ कयावि चित्तु । घत्ता-वन्न वि परयारहो जो न सुणइ परमत्थरउ ।
कहि किह कामिज्जइ सो सुंदरि निळ्यरउ ॥८॥
दुवई-वुच्चइ राणियाण मइँ पुरउ पुरोहपियाहे वुत्तयं ।
___माणमि जइ ण सुहउ सो हुयवहि पइसमि तो निरुत्तयं ।। ता धाइप धीरिय दुम्मणिय
सपइज्ज भज्ज रायहो तणिय । तहो आणेवर मयणत्तिहरु
हलि अत्थि उवाउ एक्कु पवरु । सो पिउवणे अट्ठमिचउदसिहे
अच्छइ पडिमाजोएँ निसिहे । तहिँ होंतुच्चाइवि झाणवसु
एत्थाणमि सुयणुवलद्धजसु । पूरमि पइज्ज परमत्थु तउ
आयहो परु नत्थि उवाउ तउ । प्रासासिवि निववहु पंडियए
गंतूण पयावन भणिउ तए। महएवि करेसा पुरिसवउ
करि पडिमउ सत्त अणोवमउ । तेण वि लहु पुरिसपमाणियउ
पडिमउ निउणेण समाणियउ। १० पच्छावि वत्थें खंधि किय
पडिवयदिणि रत्तिण एक्क निय। पुच्छिय पडिहारें पढमयरे
पइसंति नरिंददुवारि वरे । घत्ता–कि लेवि पईसहि कहसु ताण ता वयणु कउ ।
जं महु पडिहासइ कि आयण चिंता तउ ।।९।।
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दुवई-पभणइ वारवालु जं भावइ तं किं लेहु अब्भए ।
जइ जाणइ अजुत्तु पुहईवइ तो अम्हइँ निसुंभए ।।
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