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२४२ ] सिरिचंदविरइयउ
[ २२. ६. ३थिय कविल विलक्खी होवि तउ
पत्तउ वसंतु कयकामजउ । संतेउरपुरपरिवारसहु
वणकीलण लीलण चलिउ पहु। सिवियत्थ पुत्तपरिवारजुया
वणिणाहो गेहिणि चारुभुया। ५. जोएवि मणोरम मणहरिया
पच्चक्खसिरी रिव अवयरिया। अभयामहएवि वियक्खणिया
कविलय पुरोहभज्जण भणिया । परमेसरि कि भो सुरजुवई
सइँ सक्को कामहो नाइँ रई। छणयंदपहा इव गयणयले
उज्जोउ करंति संति सयले । गच्छइ परमुच्छवेण वणहो
विभउ जणंति सव्वहो जणहो। १० घत्ता--देवीश पउत्तउ सहि याणंदियजणमणहो।
पाणाण वि वल्लह गेहिणि एह सुदंसणहो ॥६॥
दुवई-एउ सुणेवि भट्टपिय भासइ पइ' कुलविद्धिकारियो ।
उप्पायंति पुत्तहंडाणि सकुसलत्तेण नारियो । भणइ देवि हलि एउ म माणहि
अज्ज वि प्रायहि सीलु न याणहि । एह महासइ णियभत्तारो
भत्त न वज्ज वि पाडइ जारहो। अणुगुणवयसिक्खावयधारी
जिणमुणिदपयपेसणगारी। ५ भणइ कविल सो मइँ विन्नासिउ
तेण वि मज्झ सवइयरु भासिउ । पुरिसु न होमि निरुत्तु नउंसउ
तेण मज्झ सुयसंभवि संसउ । भासइ रायपत्ति गुणमंडउ
सो परनारिरमणि परसंडउ । धुत्तें मिसु लाएप्पिणु खंचिय
तेणुज्जय भणेवि तुहुँ वंचिय । मुद्धि वराइ न किं पि वियक्कहि
परपुरिसहँ मणु लेवि न सक्कहि । १० लज्जिय एउ सुणेप्पिणु बंभणि
चितइ परनरचित्तनिसुंभणि । तो लग्गिवि हउँ मयणे मारिय
किय धुत्तेण तेण पत्तारिय । घत्ता-इय चितेवि अमरिसवसा ताए निववहु भणिय । . हउँ मुद्ध वराई किर बंभणि अवियक्खणिय ॥७॥
दुवई–सक्किउ रमहुँ नेव मइँ सुंदरु सुहसुविसुद्धमाणसो।
कि पइँ कामसत्थनिम्मायरम्मपराणियाए सो ।।
७.१ प
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