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२२. ६. २ ] '
कहकोसु
... [२४१ जाउ सुकंतु पुत्तु तहिँ केहउ
रुप्पिणीहे मयरद्धउ जेहउ । ५ पुच्छिवि पहु निव्वेएँ लइयउ
वणिवइ उसहदासु पव्वइयउ । दुद्धरु तउ करेवि गउ सग्गहो
हुयउ सुदंसणु सामि सवग्गहो । पुन्नवंतु सव्वत्थ पसिद्धउ
जाउ निवच्चिउ रिद्धिसमिद्धिउ । तहो सुहि कविलु विप्पु सुहयारउ
रायपुरोहिउ पाणपियारउ । तासु रूवजोव्वणमयगव्विय
कंचणवन्न कविल नामें पिय। १० प्रायन्नेवि सुदंसणकेरउ
सा गुणकित्तणु जणियच्छेरउ । ह्य परोक्खरायरंजियमण
इंदियसुह [इच्छइ] सुहदसण । निब्भरपेम्मवसान वयंसिय
एक्कहि वासरि गय संपेसिय । घत्ता–विणएण पउत्तउ ताण सुदंसणु कविलु तुह ।
सुहि सुट्ठ न सक्कइ आवहि लहु छणयंदसुह ॥४॥ १५
दुवई–एउ सुणेवि साहु सुहिवच्छलु अवियाणियपवंचो।
उत्ताउलउ तीन सहुँ सुंदर कविलहो मंदिरं गयो ।। आउच्छिय बंभणि एक्कचित्तु
अक्खहि कहिं अच्छइ मज्झ मित्तु। कविलाए एह विणएण वुत्तु
सुहि तुम्हहें अच्छइ मज्झि सुत्तु । आयन्निवि अब्भंतरि पइठ्ठ
तहिँ जाम निहालइ परमइठ्ठ । ५ कविलाण ताम करि धरिउ सेट्टि
एक्कसि आलिंगहि देहि दिट्रि। जीवावहि मइँ पिय एक्कवार
सर मयणहो दूसह दुन्निवार । सुंदर परोक्खरायाणुरत्त
थिय हउँ चिरु पइँ जोयंति मित्त । जइ नेच्छिहि तो निच्छउ जि मरणु पइँ मेल्लिवि अन्नु न भज्झु सरणु । इय भासिवि कामुयकामणाइँ
आलिंगणचुंबणमम्मणाइँ। १० सा वणिवरेण गुरु मणु हरंति'
विणिवारिय बहुकम्मइँ कुणंति । घत्ता-सुणु भद्दे म खिज्जहि थिर होएप्पिणु महु वयणु ।
हउँ संढ निरुत्तउ पर न वियाणइ को वि जणु ॥५॥
दुवई-प्रायन्नेवि एउ सहसत्ति विरत्तण ताइँ मुक्कयो।
___गउ मंदिरु वणिंदु हरिणो इब सीहिणिकमो चुक्को ।। ४. १ हियपाणि ।
५. १ सम्मणाई। २. हवंति। ३. यम्मइं ।
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