SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 355
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २२० 1 सहुँ पाहुडेण तं बेरमउ दिउ सामि सुणेवि इणं तत्थाय मागहु मंतिजुउ संजाउ अईवकयत्थु पहू एत चिरवरवसेण निसि वि पहुणा पावियउ भवन मारियउ ७. तहिँ पुव्वकोडि जीवेवि मुउ पंचाणणु पुणु पंचमनरउ पुणु चोत्थ पुल्लि पुणो तदिए पुणु पक्खि हूउ नामेण चउ पुणु एत्थ एहु दुग्गंधजुउ निसुणेवि एम नियपुव्वभउ fre संपs सामिय दुरियहिणु रोहिणिउववासें दुरियखउ प्राणिविकरणविहाणु तिणा उववासु लइउ वंदेवि गुरु सिरिचंदविरइयउ घत्ता — कोढें सव्वंगु वि गलिउ पावें पाविउ मुणिवहयारिउ । कट्ठा सत्तम हुउ नरयम्मि मरेप्पिणु नारउ ||६|| गाहा— महदा दुक्खेण तदो चुदो' समुद्दम्मि प्रतिमे जादो । हम नामेण तिमिगिलो मच्छो ॥ 60 घत्ता -- वयमाहप्पें थोवयहिँ दिवसहिँ सन्नासविहीन मरेवि वरो १ सुदो । Jain Education International अप्पेसइ तुज्झ मणोरमउ । तो लेवि विहाण तं करिणं । ढोएप्प कप्पु दप्पु हुउ । संमाणि बंभणु दिन्नबहू | गंतूण निसुंभिउ तेण रिसि । कयको सो पिट्टावियउ । वित्थारिऊण नीसारियउ । ८ [ २०.६.१४ दुग्गंधु वि वरपरिमलु । सुंदरु रायकुमारु हुउ पेच्छह पच्चक्खु वि धम्मो फलु ॥७॥ गाहा— रज्जं पिउणा दत्तं काऊण चिरं पुणो सपुत्तस्स । दाऊण माससेसे नियाउसे लच्छिवि जयस्स ॥ पुणु छट्ठनर नारइउ हुउ । उ पुणु दिट्ठीविसु उरउ । भेरुंडु चंडु पुणु पुणु विदिए । पुणु पढमनरउ पावेण गउ । उपावें पत्थव तुज्झु सुउ । विन्नविउ कुमारें पहयरउ । फिट्टइ ता तहो उवइसइ जिणु । संपज्जइ सुहुँ सुय चारु वउ । सहुँ सावयधम्में सुहमइणा । दूरुज्झिवि मिच्छा देउ गुरु । संजायउ पाणयसग्गि सुरो । For Private & Personal Use Only १८ २० ५. १० www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy