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१६. १४. ४ ] ,
कहकोसु
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सिग्गडयं भाणिउ छत्तु रासु सिरु उरु हणेवि नचिज्जमाणु को एहु नवर नाडयविसेसु धाई भणिउ सुप्र सोउ दुक्खु किं सोउ दुक्खु वुच्चइ हसेवि निसुणेवि एउ प्रारुट्ठ धाइ उम्माहु तुज्झु किं हले अहव्वु अह अवरु किं पि नच्चणपत्रोउ देवी भणिय किं करहि रोसु घत्ता-पइँ अणाइसंताण
कहियहँ जणमणहरण
डोंबूलिय वि नाडउ जयपयासु । मोक्कलकएहिँ गाइज्जमाणु गीयसरु वि को सत्तमु सरेसु । भन्नइ इमु परियोसियविवक्खु । पाउच्छइ पुणु वि असोयदेवि । भासइ अणक्खु किं सहहुँ जाइ । ईसरियरूवसोहग्गगव्यु ।
गीयसरु जेण जाणहि न सोउ । __अमुणिउ पुच्छंतहँ कवणु दोसु । सयल कला विन्नाणइँ । तह चउसट्ठि वि करणइँ ।।१२।।
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न कयाइ पयासिउ एहु मज्झु खम करहि मणेवि' अदिट्ठपुव्वु पुणु भणिउ ताण सुंदरि सखेउ किं सोउ भणिज्जइ भणइ देवि हउँ कहमि अत्थु तुह इय भणेवि सुहलक्खणतणु जीवियसमाणु जोयंतही दिसउ महापहाउ पावइ धरित्ति अज्ज वि न जाम मा पेच्छउ रोहिणि देवि दुक्खु
घत्ता-तहां उप्परि सोमालउ ___हाएप्पिणु मणहरणहिँ
न वियाणमि कि किउ माइ तुज्झु । पुच्छिउ मइँ एत्थ न कि पि गब्बु । रोविज्जइ सोयवसेण एउ । प्रारुट्ठउ पुहईसरु सुणेवि । सिसु लोयवालु हत्थहिँ निएवि। ५ दाविउ पासायहो खिप्पमाणु । छुडिऊण पडिउ रयणु व कराउ । किउ पाडिहेरु देवेहिँ ताम ।
इय चितिवि रइउ असोयरुक्खु । धरिवि वरासणे बालउ ।
१० पुज्जिउ वत्थाहरणहिँ ॥१३॥
तहिँ ताण अवत्थy अच्छमाणु आलोइवि नंदणु नरवरिंदु सव्वेहिँ मि वत्तिउ मुवि गव्वु जाणेवि एउ आयरह धम्म
पुरदेवयाहिँ सहुँ कीलमाणु ।। विभिउ पुरु परियणु सयणबिंदु । प्रहु रोहिणिपुण्णपहाउ सब्बु । न नियच्छह जेणाणिट्ठजम्मु ।
१३. १ भणेवि ।
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