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सिारचंदविरइयउ
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१६. ७.६
घत्ता-एत्तह चंपापुरवइ अवरु ससेन्नु सुयापइ।
अमरिसवस सन्नद्धा नाइँ कयंत विरुद्धा ॥७॥
सव्वेहिँ मि किज्जइ काइँ एहिँ
महु हरिहिँ वरायहिँ नं गएहिँ । लइ इंतु पसाएँ माम तुज्झु
सक्कु वि समरंगणे मरइ मज्झु । तुहुँ नियह चोज्जु रक्खहि कुमारि पडिभडहँ भिडमि हउँ करमि मारि । पहुणा पउत्तु अच्छउ कुमार
गउरविउ अम्ह तुहुँ वइरिमार । मइँ कलिउ चित्तु तुह कवण तत्ति
लइ दावमि खलहँ कयंतथत्ति । ५ इय वारिज्जंतु वि वइरिसेन्नि
पालग्गु गंपि जलणु व्व रन्नि । एत्तहे परचक्करे चंपनाहु
अभिडिउ ससिहे नं सबलु राहु । संजाउ महाहउ पलयकालु
नच्चंतकबंधनिरंतरालु । दूसहभडहक्कारवरउदु
मज्जायविवज्जिउ नं समुदु । पवहंतरत्तसरिदुत्तरिल्लु
मत्थिक्कमंसचिक्खिल्लखोल्लु । १० सरनियरनिवारियरविपयामु
पहरणसंघटुट्ठियहुयासु। घत्ता-तहिँ तेहए पहरंतही रणे करिपुरवइपुत्तहो ।
जो जो सम्मुहु ढुक्कउ सो सो को वि न चुक्कउ ॥८॥
प्रणवरउ असोयहो बाणजालु
छाइयमहिसयलनहंतरालु । न मुणिज्जइ किं पि वि पाण लेंत दीसहिँ सव्वत्थ विसर पडत । पहरइ विज्जुप्पहसुउ अलक्खु
पडिहासइ एक्कु वि कोडिलक्खु । चेईसपमुह निव हय पहूय
सरसीरिय के वि हु विरह हूय । अलहंत लक्ख रणु परिहरेवि
थिय तत्थ के वि दूरोसरेवि । ५ प्रवमाणिय बद्ध निरुद्ध के वि
*सुउ खेलावंतिण लोयवालु। रच्छहि सिरु उयरु हणंतियाउ
महिलउ निएवि विलवंतियाउ । धत्ता-पुच्छिय हसिवि वियक्खण नामें धाइ सलक्षण ।
हणहि मात्र संसयमलु कहि किमेउ कोऊहलु ॥११॥ १० • यहां नौवें कडवक का शेष भाग, दसवां कड़वक पूरा, तथा ग्यारहवें कडवक का पूर्व भाग भादर्श प्रति में छूट गया है।
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