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संधि १९
भवणकमलदिवसेसरु अहिवंदेवि जिणेसरु ।
भत्तिफलं संभूसमि रोहिणिचरिउ समासमि ।। धम्माणुरायरंजियमणेण
एक्कहिँ दियहम्मि सपरियणेण । गंपिणु विउलइरि तिलोयसरणि
सिरिवीरजिणेसरु समवसरणि । पणवेप्पिणु भावे निम्मलाई
निसुणिवि धम्माधम्मो फला।। ५ गोत्तमु मुणि विणयवियाणएण
परिपुच्छिउ सेणियराणएण । आणंदह भव्वजणाहि चित्तु
उवएसह पहु रोहिणिचरित्तु । किह भमिय भवंतर सहिउ दुक्खु
संपत्तु पुणो वि हु केम सोक्खु । किह किउ नक्खत्तुववासु ताण
किह मुणिउ न सोउ अणोवमाए । निसुणेवि एउ वरमइविहूइ
वज्जरइ नरिंदो इंदभूइ । भो जिणमुणिपयपंकयदुरेह
निसुणहि मगहेसर परममेह । घत्ता-नियसोहाहयसुरपुरि एत्थ भरहे चंपापुरि ।
रिद्धि जियमघवंतउ अत्थि राउ मघवंतउ ॥१॥
५
धयरट्ठगईश महासई
महएविन तासु सिरीमईए। सिरिपालपहूइय गुणहिँ जुत्त
जणिया मयणोवम अट्ठ पुत्त । सव्वहुँ लुयारी रोहिणि त्ति
सुय नाइँ सुहंकर कामकित्ति । सा कत्तियनंदीसरदिणम्मि
उववासिय तोसियभवियणम्मि । गंधक्खयपुप्फहिँ पुप्फकेउ
पलयानलु पुज्जिवि परमदेउ । गंपिणु अत्थाणि जिणेससेस
अप्पिय तइँ तायहो हयकिलेस । कर जोडिवि लेवि असीस भाल'
वइसारिय राएँ अंकि बाल । जोव्वणभरभूसिय चारुरूव
चिताविउ निवइ निवि धूव । निवसइ घरि वड्ड कुमारि जासु
जणजपणु दुज्जसु अवस तासु । घत्ता-इय चितिप्पिणु पुज्जिय पुत्ति निवासि विसज्जिय ।
___ लेप्पिणु मंतिचउट्ठउ पहु मंतणा पइट्ठउ ।।२।। २. १ माल।
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